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This Article is From Jul 28, 2023

दिल्ली अध्यादेश : विपक्ष की मनमोहन सिंह को व्हील चेयर पर, बशिष्ठ नारायण सिंह को एम्बुलेंस से संसद में लाने की तैयारी

संसद में दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े विधेयक पर मतदान के दौरान केंद्र सरकार को कड़ी चुनौती देने की तैयारी कर रहा विपक्ष

दिल्ली अध्यादेश : विपक्ष की मनमोहन सिंह को व्हील चेयर पर, बशिष्ठ नारायण सिंह को एम्बुलेंस से संसद में लाने की तैयारी
संसद भवन.
नई दिल्ली:

विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (INDIA) के घटक दल अपने सांसदों को व्हिप जारी करने से लेकर अस्वस्थ नेताओं के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करने तक, हर वो कदम उठा रहे हैं जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अगले सप्ताह दिल्ली से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर संसद में लाए जाने वाले विधेयक पर चर्चा और मतदान के दौरान सत्तापक्ष को कड़ी चुनौती दी जा सके.

कांग्रेस समेत इस गठबंधन के सभी दलों का यह प्रयास है कि इस विधेयक पर चर्चा और मतदान के दौरान सदन में उनके सदस्यों की 100 फ़ीसदी मौजूदगी रहे.

विपक्षी सूत्रों का कहना है कि उच्च सदन में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2023 पर मतदान हो सकता है. संसद में अगले सप्ताह यह विधेयक लाए जाने की संभावना है.

विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में इस विधेयक के पेश किए जाने के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (90) के व्हीलचेयर पर सदन में आने की संभावना है, जबकि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन (79) भी संसद की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं. मनमोहन सिंह और सोरेन लंबे समय से अस्वस्थ हैं.

सूत्रों ने कहा कि जेडीयू के सांसद 75 वर्षीय बशिष्ठ नारायण सिंह के भी एम्बुलेंस में संसद पहुंचने की संभावना है.

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों संबंधी मामलों में निर्णय की शक्तियां दिल्ली सरकार को प्रदत्त की थीं और शीर्ष अदालत के इसी आदेश को निरस्त कराने के लिए दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र द्वारा जारी अध्यादेश की जगह लेने के लिए यह विधेयक लाया जा रहा है.

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सदन में पार्टी के नेता डेरेक ओब्रायन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सदन के नेता पीयूष गोयल से बात की और उनसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि सरकार यह विधेयक लाने से पहले सदस्यों को पहले से सूचित कर दे.

उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 में विपक्षी दलों को इस पर अपना रुख तैयार करने का समय दिए बिना लाया गया था.

कांग्रेस और जनता दल (यूनाइटेड) ने पहले ही अपने-अपने सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है.

ओब्रायन और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने पहले ही राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा है कि अध्यादेश एक गंभीर मुद्दा है और उनसे अनुरोध किया है कि वे उन्हें विधेयक के बारे में पहले से बताएं.

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