नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने नगर निगम (MCD) के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें नहीं मिलने के मुद्दे पर शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को लताड़ लगाई और कहा कि गिरफ्तारी के बाद भी अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हुए हैं, जो दर्शाता है कि उन्होंने राजनीतिक हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है. अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार की 'सत्ता के समायोजन में रुचि है.'
दिल्ली सरकार के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल से मंजूरी की जरूरत है, जिसके बाद अदालत ने ये तल्ख टिप्पणी की.
अरविंद केजरीवाल, 2021 की आबकारी नीति के संबंध में कथित धन शोधन के मामले में हिरासत में हैं.
अदालत ने कहा कि अब तक हमने 'विनम्रतापूर्वक' इस बात पर जोर दिया है कि राष्ट्रीय हित 'सर्वोपरि' है, लेकिन मौजूदा मामले ने उजागर कर दिया कि ये 'गलत' है.
अदालत इस मामले में सोमवार को आदेश पारित करेगी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा, ''मुझे ये कहते हुए बेहद दुख हो रहा है कि आपने अपने हित को विद्यार्थियों और पढ़ने वाले बच्चों के हित से ऊपर रखा. ये स्पष्ट है और हम मानते हैं कि आपने अपने राजनीतिक हित को सबसे ऊपर रखा है.'' उन्होंने कहा, ''ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपने ऐसा किया. ये गलत है और यही बात इस मामले में उजागर हुई है.''
अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि उनका मुवक्किल 'केवल सत्ता के इस्तेमाल में रुचि रखता है.' पीठ ने कहा, ''हमें नहीं पता कि आप कितनी शक्ति चाहते हैं. समस्या ये है कि आप शक्तियां हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, यही वजह है कि आपको शक्ति नहीं मिल रही है.''
अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर वो (केजरीवाल) चाहते हैं कि प्रशासन 'पंगु' हो जाए तो ये मुख्यमंत्री का व्यक्तिगत विचार है. पीठ ने कहा कि नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों को 'सभी को साथ लेकर चलना होगा' क्योंकि ये 'एक व्यक्ति के प्रभुत्व' का मामला नहीं हो सकता है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वो मुख्यमंत्री की ओर से पेश नहीं हुए हैं. उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि नगर निगम की स्थायी समिति की अनुपस्थिति के मद्देनजर अगर एमसीडी आयुक्त वित्तीय मंजूरी के लिए औपचारिक अनुरोध करते हैं तो किताबों की आपूर्ति का मुद्दा हल हो जाएगा.