
- केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक यमन नागरिक की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई है, जिसकी तारीख 16 जुलाई निर्धारित है.
- निमिषा ने यमन में क्लिनिक खोलने के लिए स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी की थी, लेकिन बाद में उनके बीच विवाद हो गया.
- निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस लेने के मकसद से तलाल को सेडेटिव्स का इंजेक्शन लगा दिया. ओवरडोज की वजह से उसकी मौत हो गई थी.
केरल के पलक्कड़ की नागरिक और पेशे से एक नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में मौत की सजा दी जाएगी. मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम के अनुसार प्रिया एक यमन नागरिक की हत्या के आरोप में जेल में हैं. जेरोम के पास निमिषा प्रिया की मां प्रेमा कुमारी की पावर ऑफ अटॉर्नी है. जेरोम ने कहा कि जेल अधिकारियों ने उसे फांसी की तारीख बता दी है. जेरोम के पास जेल के यमन से जेल के चेयरमैन का एक कॉल आया था जिसमें इस बात की जानकारी दी गई थी कि फांसी का आदेश पास कर दिया गया है. निमिषा प्रिया को भी आधिकारिक तौर पर इस बारे में जानकारी दे दी गई है.
अभी खुले हैं विकल्प
सैमुअल जेरोम ने कहा कि बातचीत चल रही थी लेकिन यमन के नागरिक के परिवार की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. ब्लड मनी पर भी कोई बात नहीं बन सकी थी. यमनी नागरिक के परिवार को दस लाख डॉलर की पेशकश की गई और एक स्पॉन्सर की मदद से पैसे भी जुटाए जा रहे हैं. सूत्रों की मानें तो अभी विकल्प खुले हैं और भारत सरकार उसकी जान बचाने के लिए मामले में हस्तक्षेप कर सकती है.
कौन हैं निमिषा
केरल से आने वाली निमिषा प्रिया नर्सिंग ट्रेनिंग कोर्स पूरा करने के बाद 2011 में यमन चली गई थी. बताया जा रहा है कि वह अपने माता-पिता को अच्छी जिंदगी देने के मकसद से वहां गई थीं. उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे. शुरुआत में उन्होंने यमन के कई अस्पतालों में दिन-रात काम किया. इसके बाद उन्होंने अपना खुद का क्लिनिक खोलने का फैसला किया. वह 2014 में तलाल अब्दो महदी के संपर्क में आई थीं. तलाल ने निमिषा को यमन में क्लिनिक शुरू करने में उनकी मदद का वादा किया. निमिषा को लगा कि अब उनका सपना सच हो सकता है.
क्या है सारा मामला
यमन में व्यापार कानून के तहत कोई भी वह शख्स जो उस देश का नागरिक नहीं हैं उसे देश में बिजनेस शुरू करने के लिए किसी स्थानीय व्यक्ति के साथ पार्टनरशिप करनी होती है. निमिषा ने कानूनों के अनुसार ही क्लिनिक खोलने के लिए साझेदारी की और शर्तों पर सहमति जताई. निमिषा ने साल 2015 में महदी के साथ अपना क्लिनिक शुरू किया. लेकिन जल्द ही उनके बीच मतभेद पैदा हो गए. उन्होंने महदी पर दुर्व्यवहार और यातना का आरोप लगाया था. बताया जा रहा है कि महदी ने उनका पासपोर्ट भी ले लिया था ताकि वह यमन से बाहर न जा सकें.
निमिषा को चाहिए था पासपोर्ट
निमिषा ने महदी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और 2016 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार उसे कुछ ही दिनों बाद रिहा कर दिया गया था. साल 2017 में यह विवाद नए मोड़ पर पहुंच गया. अपना पासपोर्ट वापस पाने और भारत वापस जाने के लिए बेताब, निमिषा ने एक स्थानीय जेल वार्डन की मदद ली, जिसने महदी को अक्षम करने के लिए सेडेटिव्स के प्रयोग का सुझाव दिया.
ओवरडोज से हुई मौत
उस वॉर्डन का सुझाव मानते हुए निमिषा ने अपना पासपोर्ट उसके कब्जे से लेने की कोशिशों में उसे सेडेटिव्स का इंजेक्शन लगा दिया. ओवरडोज से उसकी मौत हो गई जिसके कारण निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और मामले में दोषी ठहराया गया. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निमिशा की मां प्रेमा कुमारी इस साल की शुरुआत में यमन की राजधानी सना पहुंची थीं. वह मृत्युदंड की माफी और पीड़ित के परिवार के साथ ब्लड मनी पर बातचीत करने के लिए वहां रुकी हुई थीं.
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