प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली नगर निगम के सबसे बड़े अस्पताल बाड़ा हिंदूराव की इमरजेंसी में मरीजों की भीड़ देखने के मिल रही है। डेंगू के खौफ से घबराए मरीजों का इलाज तो हो रहा है, पर उनकी लाइन भी काफी लंबी है। जिन्हें बेड नहीं मिला वे वहीं नीचे लेटे हैं।
लालबाग से आए जितेंद्र की हालत भी खराब है। उनकी रिपोर्ट से अभी कुछ साफ नहीं हुआ है। जितेंद्र का कहना है उन्हें उल्टी, तेज बुखार और बदन दर्द की शिकायत है। उन्होंने बताया कि उनके खून के नमूनों की जांच भी हुई है, लेकिन डॉक्टरों ने यह नहीं बताया कि उन्हें डेंगू है या नहीं।
रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार
मुकंदपुर से आईं इंदू को पांच दिन से बुखार है। लक्षण डेंगू के हैं और अब सही इलाज का इंतजार है। इंदू की मां शमिता का कहना है कि उनकी बेटी को पिछले 4-5 दिनों से तेज बुखार है। उसे घबराहट भी हो रही है। डॉक्टरों ने कुछ गोलियां खिलाने को कहा है और खून की जांच के लिए नमूना ले लिए हैं। अभी रिपोर्ट का इंतजार है।
भय के कारण जांच करा रहे लोग
डेंगू के शक में हजारों लोग खून की जांच करवा रहे हैं। इसके बाद फिर रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार होता है। रिपोर्ट के इंतजार में खड़े कैलाश ने बताया कि उनकी बेटी को बुखार है। उन्हें शक हुआ कि कहीं डेंगू न हो, इसलिए जांच करवा ली। किशन का कहना था कि वे रिपोर्ट पाने के लिए करीब आधा घंटा से खड़े हैं, लेकिन उन्हें इसका कोई मलाल नहीं, क्योंकि उनकी बेटी की जिंदगी से बढ़कर कुछ नहीं ।
डिप्टी मेयर ने बिगड़े हालात के लिए दिल्ली सरकार पर दोष मढ़ा
उत्तरी दिल्ली की डिप्टी मेयर दौरे पर थीं, इसलिए फिलहाल यहां सब ठीकठीक लग रहा है। वैसे भी डिप्टी मेयर डेंगू से बिगड़े हालात के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। डिप्टी मेयर का कहना है कि हम लोग तो पहले से ही सतर्क हो गए थे, लेकिन दिल्ली सरकार ने हमारा बजट पास नहीं किया। इसीलिए समस्या यहां तक पहुंच गई।
अस्पताल में बेड की कमी
अस्पताल प्रशासन का दावा है कि डेंगू के लिए 10 वार्ड बनाए गए हैं। हांलाकि 585 मरीजों के लिए 370 बेड ही हैं। हॉस्पिटल के निदेशक डी के सेठ का कहना है कि अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए कुल 980 बेड हैं, लेकिन कई बार मरीज इतने ज्यादा हो जाते हैं कि एक बेड पर 2 लोगों को लिटाना मजबूरी हो जाती है।
अस्पताल प्रशासन भले ही दावे करे कि यहां सब कुछ ठीक है, लेकिन डेंगू से पीड़ित किशन अस्पताल के बाहर बैठे हैं। डॉक्टरों ने 4 दिन भर्ती करने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी, लेकिन हालत फिर से बिगड़ गई। डॉक्टरों की सलाह पर वे लगातार पैरासिटामोल की गोलियां खा रहे हैं।
जिस अस्पताल में डेंगू के मरीजों का इतने बड़े पैमाने पर इलाज चल रहा है, वहां गंदगी का आलम भी कम नहीं है। टॉयलेट्स गंदे हैं। अस्पताल में कई स्थानों पर कूड़े के ढेर लगे हैं।
आंकड़ों पर नजर डाले तों अलग-अलग इलाकों में डेंगू के मामले इस प्रकार हैं-
लालबाग से आए जितेंद्र की हालत भी खराब है। उनकी रिपोर्ट से अभी कुछ साफ नहीं हुआ है। जितेंद्र का कहना है उन्हें उल्टी, तेज बुखार और बदन दर्द की शिकायत है। उन्होंने बताया कि उनके खून के नमूनों की जांच भी हुई है, लेकिन डॉक्टरों ने यह नहीं बताया कि उन्हें डेंगू है या नहीं।
रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार
मुकंदपुर से आईं इंदू को पांच दिन से बुखार है। लक्षण डेंगू के हैं और अब सही इलाज का इंतजार है। इंदू की मां शमिता का कहना है कि उनकी बेटी को पिछले 4-5 दिनों से तेज बुखार है। उसे घबराहट भी हो रही है। डॉक्टरों ने कुछ गोलियां खिलाने को कहा है और खून की जांच के लिए नमूना ले लिए हैं। अभी रिपोर्ट का इंतजार है।
भय के कारण जांच करा रहे लोग
डेंगू के शक में हजारों लोग खून की जांच करवा रहे हैं। इसके बाद फिर रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार होता है। रिपोर्ट के इंतजार में खड़े कैलाश ने बताया कि उनकी बेटी को बुखार है। उन्हें शक हुआ कि कहीं डेंगू न हो, इसलिए जांच करवा ली। किशन का कहना था कि वे रिपोर्ट पाने के लिए करीब आधा घंटा से खड़े हैं, लेकिन उन्हें इसका कोई मलाल नहीं, क्योंकि उनकी बेटी की जिंदगी से बढ़कर कुछ नहीं ।
डिप्टी मेयर ने बिगड़े हालात के लिए दिल्ली सरकार पर दोष मढ़ा
उत्तरी दिल्ली की डिप्टी मेयर दौरे पर थीं, इसलिए फिलहाल यहां सब ठीकठीक लग रहा है। वैसे भी डिप्टी मेयर डेंगू से बिगड़े हालात के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। डिप्टी मेयर का कहना है कि हम लोग तो पहले से ही सतर्क हो गए थे, लेकिन दिल्ली सरकार ने हमारा बजट पास नहीं किया। इसीलिए समस्या यहां तक पहुंच गई।
अस्पताल में बेड की कमी
अस्पताल प्रशासन का दावा है कि डेंगू के लिए 10 वार्ड बनाए गए हैं। हांलाकि 585 मरीजों के लिए 370 बेड ही हैं। हॉस्पिटल के निदेशक डी के सेठ का कहना है कि अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए कुल 980 बेड हैं, लेकिन कई बार मरीज इतने ज्यादा हो जाते हैं कि एक बेड पर 2 लोगों को लिटाना मजबूरी हो जाती है।
अस्पताल प्रशासन भले ही दावे करे कि यहां सब कुछ ठीक है, लेकिन डेंगू से पीड़ित किशन अस्पताल के बाहर बैठे हैं। डॉक्टरों ने 4 दिन भर्ती करने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी, लेकिन हालत फिर से बिगड़ गई। डॉक्टरों की सलाह पर वे लगातार पैरासिटामोल की गोलियां खा रहे हैं।
जिस अस्पताल में डेंगू के मरीजों का इतने बड़े पैमाने पर इलाज चल रहा है, वहां गंदगी का आलम भी कम नहीं है। टॉयलेट्स गंदे हैं। अस्पताल में कई स्थानों पर कूड़े के ढेर लगे हैं।
आंकड़ों पर नजर डाले तों अलग-अलग इलाकों में डेंगू के मामले इस प्रकार हैं-
- नॉर्थ एमसीडी- 776 मामले
- साउथ एमसीडी- 499 मामले
- ईस्ट एमसीडी- 152 मामले
- एनडीएमसी- 73 मामले
- दिल्ली कैंट- 13 मामले
- रेलवे और अन्य- 201 मामले
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