आर्थिक मंदी का असर सिर्फ आप पर और हम पर नहीं, बुनियादी सेक्टर में सरकार के बड़े प्रोजेक्टों पर भी पड़ रहा है. सरकार की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक 150 करोड़ से ज़्यादा बजट वाला हर तीसरा प्रोजेक्ट लटका पड़ा है. अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटी सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है. सांख्यिकी मंत्रालय की तरफ से जारी फ्लैश रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक मंदी के इस दौर में इस साल मई तक लाखों करोड़ रुपये इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में लटके पड़े हैं.
डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा बजट वाले लटके हुए प्रोजेक्टों में केंद्र सरकार की 1623 परियोजनाओं में से 496 तय समय से पीछे चल रही हैं. सरकार की 30.56% परियोजनाएं, यानी हर तीन में से करीब एक लटकी पड़ी हैं. सबसे ज़्यादा देरी सड़क परिवहन व हाईवे सेक्टर में है जहां 810 में से 216 परियोजनाएं अटकी हुई हैं.
परियोजनाओं के अटकने से सिर्फ विकास का काम ही धीमा नहीं पड़ा बल्कि सरकार का खर्च पौने चार लाख करोड़ बढ़ गया है. इन परियोजनाओं कि लिए 19.25 लाख करोड़ रुपये रखे गए थे पर देरी की वजह से यह खर्च बढ़कर 23.02 लाख करोड़ हो गया है. यानी 3.77 लाख करोड़ ज़्यादा ख़र्च हो रहा है.
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देरी की कई वजहें हैं, जैसे ज़मीन अधीग्रहण और वन विभाग की मंज़ूरी में देरी, सामान की सप्लाई में देरी, फंड की कमी और माओवाद और कानून व्यवस्था की समस्या.
बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों के फंसे होने की वजह से न सिर्फ सरकार का कई लाख करोड़ रुपया फंसा हुआ है बल्कि इन्हें पूरा करने में हो रही देरी की वजह से सरकार का खर्च भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि इन अड़चनों को जल्दी दूर किया जाए जिससे बुनियादी सेक्टर में नए निवेश का रास्ता साफ हो सके.
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