राफेल मुद्दे पर संसद में बहस के दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि चाहे सत्ता में कोई भी हो, देशहित सबसे महत्वपूर्ण होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राफेल मुद्दे पर उठाए गए सवालों का जवाब दिया जाएगा. हमारे पड़ोसियों के साथ संबंध उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं. चीन-पाकिस्तान की बेहतर तैयारी है. यूपीए के 10 सालों के शासनकाल में कुछ नहीं हुआ है. हमारी वायुसेना के पास जहाज घटते जा रहे थे. 2006 के बाद से राफेल डील पर लगातर गतिरोध जारी था. उस समय सिर्फ 18 विमानों की बात थी लेकिन 2014 तक भी विमान उपलब्ध नहीं हो पाए थे. हमारी सेना को इन विमानों की जरूरत थी. इसलिए हमारी सरकार ने इन विमानों को तुरंत खरीदने का फैसला किया और डील के मुताबिक पहला एयरक्राफ्ट इस साल 2019 तक देश को उपलब्ध हो जाएगा. 2022 तक सभी 36 राफेल विमान भारत को उपलब्ध हो जाएंगे.
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निर्मला सीतारमन ने सवाल कांग्रेस से उल्टा सवाल पूछते कहा कि रक्षा के लिए सौदा करना और रक्षा के नाम पर सौदा करने में फर्क होता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस बताए कि आखिर मंजूरी मिलने के बाद भी राफेल विमान सौदा क्यों टाला गया. रक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस का इन विमानों को खरीदने का भी इरादा ही नहीं था. अनिल अंबानी का नाम लेकर आरोप लगाने पर निर्मला सीतारमन ने रॉबर्ड वाड्रा पर भी इशारों-इशारों में निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यहां पर सौदे में 'Q' और 'RV' थे.
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रक्षा मंत्री ने कहा कि एचएएल के नाम पर कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहा रही है. जिस संसदीय समिति ने कहा कि 3 दशक तक संसदीय समिति नाकाम रही है उसके सदस्य कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी रहे हैं. एचएएल को लगातार मोहलत दी दी जाती रही है. समिति ने यह भी कहा गया कि एक भी ढंग के देसी विमान नहीं बना पाई है एचएएल. रक्षा मंत्री ने कहा कि 2005 से लेकर 2014 तक एचएएल पर कुछ नहीं हुआ. इसको एक लाख करोड़ के प्रोजेक्ट हमने दिलाए. 8 से 16 तेजस विमान बनाने की क्षमता मौजूदा केंद्र सरकार के समय की गई. निर्मला सीतारमन ने पूछा कि अगर राफेल पर एचएएल की इतनी ही चिंता थी तो अगस्ता वेस्टलैंड के साथ क्यों सौदा हुआ. इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ राहुल गांधी की बातचीत की आधिकारिक कॉपी भी संसद के समक्ष रखने की मांग कर डाली. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने देश और सदन को गुमराह किया है.
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