मुंबई:
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर दक्षिण मुंबई स्थित उस जमीन पर अपना मालिकाना हक होने का दावा किया, जिस पर ‘आदर्श हाउसिंग सोसाइटी’ की इमारत खड़ी की गई है और जो घोटाले की भेंट चढ़ चुकी है।
रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि इस आवासीय परिसर का निर्माण अवैध रूप से और गैरकानूनी तरीके से किया गया।
रक्षा मंत्रालय ने उच्च न्यायालय में एक मुकदमा कर कोलाबा स्थित 31 मंजिला इमारत वाली इस जमीन पर अपना मालिकाना हक होने की बात कही है। मंत्रालय ने इसे सौंपे जाने की मांग भी की है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त एक न्यायिक समिति ने आठ महीने पहले कहा था कि यह जमीन राज्य सरकार की है और इसे कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की विधवाओं या उनके परिवार के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं रखा गया था जैसा कि दावा किया जा रहा था। दो सदस्यीय जांच समिति ने इस साल अप्रैल में महाराष्ट्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
इसके बाद, 28 मई को मंत्रालय ने राज्य और आदर्श सोसाइटी को नोटिस जारी कर उनसे इस जमीन पर मंत्रालय के मालिकाना हक को स्वीकार करने तथा इसका कब्जा दो महीने के अंदर सौंपने को कहा था। साथ ही, यह भी कहा था कि ऐसा नहीं होने पर वह अदालत में एक दीवानी मुकदमा करेगा।
रक्षा मंत्रालय ने अपने मुकदमे में आरोप लगाया है कि 100 से अधिक फ्लैटों वाला यह आवसीय परिसर गैर कानूनी तरीके से बनाया गया। इनमें से कुछ फ्लैट सेवानिवृत रक्षा अधिकारियों के नाम हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय इस जमीन का एक मात्र मालिक है।
यह जमीन आदर्श हाउसिंग सोसाइटी को फर्जीवाड़ा, सांठगांठ कर, सोसाइटी के सदस्यों तथा राज्य के मंत्रियों और नौकरशाही ने मिलीभगत कर हस्तांतरित कर दी गई थी। वहीं, इससे पहले मंत्रालय ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर जनवरी 2011 के उस आदेश को लागू कराने की मांग की थी जिसके तहत केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस इमारत को गिराये जाने का आदेश दिया था। रक्षा मंत्रालय ने इस इमारत को पास स्थित रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए जोखिम पैदा करने वाला बताया था।
रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि इस आवासीय परिसर का निर्माण अवैध रूप से और गैरकानूनी तरीके से किया गया।
रक्षा मंत्रालय ने उच्च न्यायालय में एक मुकदमा कर कोलाबा स्थित 31 मंजिला इमारत वाली इस जमीन पर अपना मालिकाना हक होने की बात कही है। मंत्रालय ने इसे सौंपे जाने की मांग भी की है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त एक न्यायिक समिति ने आठ महीने पहले कहा था कि यह जमीन राज्य सरकार की है और इसे कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की विधवाओं या उनके परिवार के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं रखा गया था जैसा कि दावा किया जा रहा था। दो सदस्यीय जांच समिति ने इस साल अप्रैल में महाराष्ट्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
इसके बाद, 28 मई को मंत्रालय ने राज्य और आदर्श सोसाइटी को नोटिस जारी कर उनसे इस जमीन पर मंत्रालय के मालिकाना हक को स्वीकार करने तथा इसका कब्जा दो महीने के अंदर सौंपने को कहा था। साथ ही, यह भी कहा था कि ऐसा नहीं होने पर वह अदालत में एक दीवानी मुकदमा करेगा।
रक्षा मंत्रालय ने अपने मुकदमे में आरोप लगाया है कि 100 से अधिक फ्लैटों वाला यह आवसीय परिसर गैर कानूनी तरीके से बनाया गया। इनमें से कुछ फ्लैट सेवानिवृत रक्षा अधिकारियों के नाम हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय इस जमीन का एक मात्र मालिक है।
यह जमीन आदर्श हाउसिंग सोसाइटी को फर्जीवाड़ा, सांठगांठ कर, सोसाइटी के सदस्यों तथा राज्य के मंत्रियों और नौकरशाही ने मिलीभगत कर हस्तांतरित कर दी गई थी। वहीं, इससे पहले मंत्रालय ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर जनवरी 2011 के उस आदेश को लागू कराने की मांग की थी जिसके तहत केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस इमारत को गिराये जाने का आदेश दिया था। रक्षा मंत्रालय ने इस इमारत को पास स्थित रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए जोखिम पैदा करने वाला बताया था।
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