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This Article is From Feb 17, 2021

रेटिंग एजेंसी S&P का अनुमान, 2021-22 में भारत फिर तेजी से उभरने वाली अर्थव्यवस्थाओं में होगा लेकिन...

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग ने बुधवार को कहा कि भारत अगले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा.

रेटिंग एजेंसी S&P का अनुमान, 2021-22 में भारत फिर तेजी से उभरने वाली अर्थव्यवस्थाओं में होगा लेकिन...
S&P एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग ने बुधवार को कहा कि भारत अगले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा, पर रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि भारत की वित्तीय साख की आगे की रेटिंग राजकोषीय घाटे में कमी तथा कर्ज के बोझ पर निर्भर करेगी. एसएंडपी के निदेशक (संप्रभु एवं अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त रेटिंग) एंड्रयू वुड ने कहा कि 2021 में भारत के बारे में पूर्वानुमान पहले से मजबूत हैं. यह दर्शाता है कि पिछले साल ठप हो गई कई आर्थिक गतिविधियां फिर सामान्य होने लगी हैं. इससे वृद्धि की संभावनाएं बेहतर हुई हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारभूत शक्तियां उभरकर सामने आई हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘भारत उभरते बाजारों में सबसे तेजी से वृद्धि करती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा. भारत की इस साल की गिरावट काफी तेज थी और संभवत: वैश्विक औसत से अधिक थी. लेकिन हम अगले वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के साथ वापसी की उम्मीद कर रहे हैं. इससे भारत 2021 में पुन: सबसे तेजी से वृद्धि करती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा. सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि मध्यम अवधि में भारत की वृद्धि दर छह प्रतिशत या इससे कुछ अधिक रहने का अनुमान व्यक्त कर रहे हैं. यह दुनिया भर के उभरते बाजारों की तुलना में बेहतर है.''

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एसएंडपी ने कहा कि हालिया महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर हुई है. एसएंडपी ने अभी भारत को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी नकारात्मक की रेटिंग दिया हुआ है. यह पूछे जाने पर कि रेटिंग पर क्या दबाव हो सकता है, वुड ने कहा, ‘‘यदि पुनरुद्धार उम्मीद से काफी नीचे रहता है तो यह चिंता का विषय होगा. यदि अर्थव्यवस्था तेजी से वृद्धि नहीं करती है तो राजकोषीय घाटा काफी अधिक होगा और कर्ज भी स्थिर होने के बजाय बढ़ता जाएगा. इससे सरकारी घाटा बढ़ेगा और कर्ज का स्तर भी अधिक होगा, जो भारत के सार्वजनिक वित्त की हालत पर सवाल उठाएगा.''

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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