विज्ञापन
This Article is From Jan 02, 2021

देश भर में चर्चित 'कोविड वॉरियर्स' टूलू बांसफोड़ को है सरकार से नौकरी में स्थायी होने की उम्मीद

31 वर्षीय स्वच्छता कार्यकर्ता टुलू बांसफोड़ पिछले साल कोरोना संकट के समय काफी चर्चित हो गए थे. गोलपारा जिला प्रशासन की तरफ से उनके कार्यों के प्रति समर्पण को देखकर उनकी तस्वीर साझा की गयी थी.

देश भर में चर्चित 'कोविड वॉरियर्स' टूलू बांसफोड़ को है सरकार से नौकरी में स्थायी होने की उम्मीद
कोविड वॉरियर्स टुलू बांसफोड़
गुवाहाटी:

31 वर्षीय स्वच्छता कार्यकर्ता टुलू बांसफोड़ पिछले साल कोरोना संकट के समय काफी चर्चित हो गए थे. गोलपारा जिला प्रशासन की तरफ से उनके कार्यों के प्रति समर्पण को देखकर उनकी तस्वीर साझा की गयी थी.जब स्थानीय नागरिक अस्पताल के सभी कर्मियों ने संक्रमित होने के डर से कोरोनोवायरस वार्ड को साफ करने से इनकार कर दिया था, तब उन्होंने आगे बढ़कर कदम बढ़ाया था और अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना महीनों तक अपनी ड्यूटी निभाई थी. हालांकि, अनुकरणीय प्रयास के बावजूद, वह अभी भी एक अस्थायी कर्मी के रूप में ही कार्य कर रहे हैं.

कक्षा 10 तक की पढ़ाई कर चुके टूलू पिछले 14 वर्षों से गुवाहाटी से लगभग 150 किलोमीटर दूर असम के गोलपारा में अस्पताल में काम कर रहे हैं. उन्हें वेतन के रूप में सिर्फ 3 हजार रुपये प्रतिमाह मिल रहा है.गोलपारा के डिप्टी कमिश्नर वर्णाली डेका ने NDTV को बताया था कि जब जिले में पहला कोविड केस सामने आया था लोगों में रोग को लेकर कई तरह की समस्या थी और लोग काफी डरे हुए थे. तब टूलू ने आगे बढ़कर कोविड वार्ड की सफाई की थी.

बांसफोड़ 17 वर्ष के थे, जब 2006 में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. वह अस्पताल में एक आकस्मिक कार्यकर्ता के रूप में नौकरी पाने में सफल रहे थे. तब से, वह उम्मीद कर रहे हैं कि उसे एक स्थायी कार्यकर्ता के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा.कोविड के मामलों में गिरावट के बाद अब बांसफोड़ फिर से अपने पुरानी ड्यूटी में वापस आ गए हैं. उन दिनों को याद करते हुए वो कहते हैं कि मेरी एक बूढ़ी माँ और एक बच्चा है, इसलिए मैं कभी घर वापस नहीं गया. जिससे कि वो सुरक्षित रह सके. जब भी मरीज घबराते थे तो मैं उन्हें खुश रखने का प्रयास करता था. दूर से ही बात कर के और भरोसा देता था कि मैं उनकी सहायता के लिए हूं.

उनकी माँ, गीता बांसफोड़ ने कहा," मैं दिन भर रोती रहती थी, हम उसके बारे में चिंतित रहते थे ... हम दिनों तक सोते नहीं थे, शायद ही खाना खाते थे. कई लोग हमें परेशान भी कर रहे थे. क्योंकि हम गरीब हैं. टूलू की मां को भी 15 रूपये पेंशन के रूप में मिलता है.टुल्लू की पत्नी, डिंपल कलिता चाहती है कि उसे काम पर स्थायी कर दिया जाए.
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि मेरे पति को कई वर्षों की उनकी अस्थायी अभी तक महत्वपूर्ण सेवा के लिए कुछ इनाम मिले ... कभी-कभी, मैं उन्हें इस नौकरी को छोड़ने के लिए भी कहती हूं, लेकिन वह नौकरी करना चाहते हैं. उन्हें काफी लगाव है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com