
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल (फाइल फोटो)
अहमदाबाद:
गुजरात विधानसभा के हाल में ही खत्म हुए सत्र के आखिरी दिन गुजरात सरकार ने गुजरात राज्य उच्च शिक्षा काउंसिल बिल पास किया। इस बिल के कानून बनने के बाद राज्य की सभी यूनिवर्सिटी के तमाम अधिकार राज्य सरकार की काउंसिल के पास आ जाएंगे।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाई गई काउंसिल में शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग से जुड़े सचिव काउंसिल में रहेंगे। सभी सदस्यों का चुनाव राज्य सरकार ही करेगी। इस बिल के कानून बनते ही राज्य में सभी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के कोर्स से लेकर यूनिवर्सिटी के फाइनेंस तक के सभी निर्णय करने के अधिकारी होंगे।
कांग्रेस का आरोप है कि ये शिक्षा के भगवाकरण के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि जानबूझकर ये बिल उस दिन विधानसभा में पेश किया गया जिस दिन कांग्रेस के सभी सदस्य सदन से निलंबित घोषित किये गये थे।
राज्य सरकार का कहना है कि सभी राज्यों को उच्च शिक्षा के लिए काउंसिल बनाने के निर्देश खुद यूजीसी ने दिये हैं और इसमें सिर्फ राजनैतिक कारणों से ही गलत अनुमान लगाये जा रहे हैं।
लेकिन शिक्षा से जुड़े कुछ जानकार और छात्र संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षा समाज को बनाती है ऐसे में उसका राजनीति से स्वतंत्र रहना जरूरी है और गुजरात सरकार युजीसी का बहाना बनाकर अपनी विचारधारा के अनुसार कोर्स में बदलाव के लिए ये कदम उठा रही है।
हैदराबाद औऱ जेएनयू में हुई विचारधारा की लड़ाई के बाद राज्य सरकार सभी विश्वविद्यालयों पर वैचारिक तौर पर नियंत्रण करना चाहती है। विरोध करने वाले संगठन अब राज्यपाल और राष्ट्रपति तक जाकर इस बिल को नामंजूर करने की गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनाई गई काउंसिल में शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग से जुड़े सचिव काउंसिल में रहेंगे। सभी सदस्यों का चुनाव राज्य सरकार ही करेगी। इस बिल के कानून बनते ही राज्य में सभी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के कोर्स से लेकर यूनिवर्सिटी के फाइनेंस तक के सभी निर्णय करने के अधिकारी होंगे।
कांग्रेस का आरोप है कि ये शिक्षा के भगवाकरण के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि जानबूझकर ये बिल उस दिन विधानसभा में पेश किया गया जिस दिन कांग्रेस के सभी सदस्य सदन से निलंबित घोषित किये गये थे।
राज्य सरकार का कहना है कि सभी राज्यों को उच्च शिक्षा के लिए काउंसिल बनाने के निर्देश खुद यूजीसी ने दिये हैं और इसमें सिर्फ राजनैतिक कारणों से ही गलत अनुमान लगाये जा रहे हैं।
लेकिन शिक्षा से जुड़े कुछ जानकार और छात्र संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षा समाज को बनाती है ऐसे में उसका राजनीति से स्वतंत्र रहना जरूरी है और गुजरात सरकार युजीसी का बहाना बनाकर अपनी विचारधारा के अनुसार कोर्स में बदलाव के लिए ये कदम उठा रही है।
हैदराबाद औऱ जेएनयू में हुई विचारधारा की लड़ाई के बाद राज्य सरकार सभी विश्वविद्यालयों पर वैचारिक तौर पर नियंत्रण करना चाहती है। विरोध करने वाले संगठन अब राज्यपाल और राष्ट्रपति तक जाकर इस बिल को नामंजूर करने की गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
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