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This Article is From Feb 12, 2017

प्रयोग के लिए बिल्ली के बच्चे को मारने की शिक्षा देने वाली चौथी क्‍लास की किताब पर विवाद

प्रयोग के लिए बिल्ली के बच्चे को मारने की शिक्षा देने वाली चौथी क्‍लास की किताब पर विवाद
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ली: चौथी कक्षा की पर्यावरण विज्ञान की किताब में 'जीवित और मृत' के बीच के अन्तर को स्पष्ट करने के लिए बिल्ली के बच्चे को मारने की शिक्षा देने वाला एक पाठ सोशल मीडिया में विवाद का विषय बन गया है जिसके बाद किताब के प्रकाशकों ने इस किताब को बाजारों से हटा लिया है. 'अवर ग्रीन वर्ल्ड : इन्वायरमेंट स्टडीज' नामक पाठ्य पुस्तक में एक अध्याय है जिसमें बच्चों को जीवित और मृत के बीच अंतर समझाने के लिए बिल्ली के बच्चे को मारने के लिए कहा गया है. पाठ में बच्चों से कहा गया है, ''लकड़ी के दो डिब्बे लो. एक डिब्बे के ढक्कन में कुछ छेद करो. दोनों डिब्बों में बिल्ली के एक..एक बच्चे को रख दो और ढक्कन बंद कर दो. कुछ समय बाद डिब्बों को खोलो और तुम देखोगे कि जिस डिब्बे के ढक्कन में छेद नहीं था, उसमें बंद बिल्ली का बच्चा मर गया है.'' पाठ के ये अंश पशु संरक्षण के लिए कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं तथा शिक्षा विशेषज्ञों के निशाने पर आ गए हैं. इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम की ठीक ढंग से जांच नहीं किए जाने पर भी सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है.

विवाद के बाद पुस्तक के प्रकाशक पीपी पब्लिकेशन्स ने भारतीय पशु संरक्षण संगठनों से माफी मांगी और उन्हें बताया कि किताब को वितरकों से वापस ले लिया गया है.

गौरतलब है कि पिछले दिनों बॉलीवुड निर्माता व अभिनेता फरहान अख्‍तर ने भी इस पर रोष जताते हुए ट्वीट किया था और उनके ट्वीट के समर्थन में ट्विटर पर लोगों ने भी जमकर अपनी प्रतिक्रिया शेयर की थी.
 
प्रकाशक परवेश गुप्ता ने पत्र में लिखा, ''हमें पता चला है कि हमारी एक पुस्तक में बिल्ली के बच्चे से जुड़े कुछ तथ्यों को ठीक ढंग से पेश नहीं किया गया है. हम इसके लिए माफी मांगते हैं और इसकी निंदा करते हैं.'' उन्होंने कहा, ''हमने पुतस्क को बाजारों से हटा लिया है और हम इन पुस्तकों को नहीं बेचेंगे. साथ ही पालतू जानवरों अथवा अन्य पशुओं के संबंध में कुछ भी छापने से पहले अधिक सावधान रहेंगे.''

स्कूली पाठ्यक्रम में इस तरह की असंवेदनशील बातें शामिल करने की यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले पुणे में 12वीं कक्षा की समाज विज्ञान की पुस्तक में देश में दहेज पर आधारित एक पाठ में कहा गया था, ''अगर कोई लड़की बदसूरत है और दिव्यांग है, तो उसके अभिभावकों को उसके विवाह में काफी दिक्कतें आती हैं. ऐसी लड़कियों से शादी करने के लिए लड़के वाले अधिक दहेज की मांग करते हैं. और लड़की के परिजन असहाय होकर उनकी मांग पूरी करते हैं जिससे दहेज प्रथा को बढ़ावा मिलता है.''

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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