Haryana Election Results: 2019 की तरह हरियाणा में कांग्रेस का लीडरशिप फिर फेल हो गया. तमाम दावों के विपरीत भाजपा ऐतिहासिक बहुमत बनाने जा रही रही है. कांग्रेस किसान, जवान और पहलवानों के नैरेटिव के जरिए सत्ता में आने का लगभग ऐलान कर चुकी थी. यहां तक की पिछड़ने के बाद भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ऐलान किया कि जीतेगी तो कांग्रेस ही. वो मानने को तैयार नहीं थे कि वो हार सकते हैं. रही सही कसर मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी में मची होड़ ने पूरी कर दी. जनता को लगा कि कांग्रेस में ही आपस में एकता नहीं है.
भाजपा के हुए जाट
इसके अलावा जाट वोटों पर बहुत ज्यादा भरोसा करना और ये मान कर चलना कि जाट तो कांग्रेस को ही वोट देंगे, ये भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा गया. आलम ये है कि ज्यादातर जाट बाहुल्य सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस को पीट दिया. किसानों को भी कांग्रेस अपने पक्ष में मान रही थी, लेकिन किसान सम्मान निधि और हरियाणा सरकार के किसानों के कामों को भूल वो भाजपा को किसान विरोधी बताती रही. हालांकि, जमीन पर इसका उल्टा असर पड़ता गया. हरियाणा के किसान 10 साल पहले और अब की तुलना करने लगे और एकजुट होकर भाजपा को वोट कर गए.
किसान और जवान नहीं आए
किसानों के साथ ही जवानों का मुद्दा गरमाकर कांग्रेस ने नौजवानों को अपनी तरफ करने की जोरदार कोशिश की. अग्निवीर योजना को लेकर राहुल गांधी ने संसद से सड़क तक भाजपा को घेरने की कोशिश की. हालांकि, भाजपा ने सभी अग्निवीरों को राज्य की सरकारी नौकरी में तरजीह देने की घोषणा कर एक झटके में इन आरोपों की हवा निकाल दी. इसी के साथ भाजपा और खासकर पीएम मोदी ने पर्ची और खर्ची की बातकर नौजवानों को 10 साल पहले की सरकारों के काम भी बता दिये कि कैसे पहले एक ही जाति और घूस लेकर नौजवानों को नौकरी दी जाती थी. इसने भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया और कांग्रेस लीडरशिप इस पर ध्यान ही नहीं दे पाई.
विनेश का साथ नहीं आया रास
पहलवानों के जंतर मंतर पर हुए प्रदर्शन के बाद विनेश फोगाट को टिकट देकर कांग्रेस ने ये मान लिया था कि अब हरियाणा के सभी पहलवान और उनके समर्थक कांग्रेस को ही वोट देंगे. साथ ही उसने इनके जरिए भाजपा को पहलवान बेटियों के विरोधी के रूप में पेश किया, लेकिन विनेश की बहन बबीता फोगाट ने ही उनकी पोल खोल दी. वो ये बताने से नहीं चूकीं कि विनेश ने राजनीति में सफलता के लिए न सिर्फ भाजपा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है, बल्कि अपने करियर और नौजवान पहलवानों के उत्साह को भी नुकसान पहुंचाया है. हुड्डा परिवार से नजदीकी प्रदर्शन के समय से विनेश की लोगों को दिख रही थी. ऐसे में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विनेश ने रही-सही संवेदना भी खो दी.
राहुल गांधी फिर हुए फेल
कुल मिलाकर कहें तो राहुल गांधी की स्क्रिप्ट फिर फ्लॉप हो गई. उन्हें हुड्डा-सैलजा में संतुलन की कोशिश महंगी पड़ी. कांग्रेस का ओवर कॉन्फिडेंस खोखला निकला और भाजपा बेहद सधी हुई रणनीति से आगे बढ़ती गई. उसने एक-एक कर अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों और नाराजगी को दूर किया. ईमानदारी से अपनी गलतियों को स्वीकार किया और जरूरी बदलाव किए. साथ ही पहले की सरकारों और उसकी सरकार के बीच के अंतर को लोगों को समझाया. ऐसे में बदलाव की आंधी समर्थन में बदल गई.
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