दिल्ली की राजनीति बंगले पर गरमाई हुई है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि जानबूझकर और नियमों के विपरीत जाकर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का बंगला उपराज्यपाल ने खाली करा दिया. यही बंगला पहले अरविंद केजरीवाल के पास था.वहीं एलजी, बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि आतिशी बगैर आवंटन के उस बंगले में रहने चली गईं थी. पूरा वाद-विवाद जानने के लिए इस खबर को पढ़ें.केजरीवाल के बाद आतिशी को क्यों खाली करना पड़ा बंगला? जानिए पूरा मामला और बयानों के तीर
अब सबसे बड़ा सवाल ये हैं कि क्या दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को वही बंगला मिलेगा? तो जवाब है ये पूरी तरह बंगला आवंटित करने वाले विभाग पर निर्भर करेगा. ऐसा कोई नियम या परंपरा नहीं है कि जिस बंगले में पहले के सीएम रहे हों, वहीं बंगला दूसरे सीएम को मिले. साल 1993 में जब दिल्ली में विधानसभा बनी तो मथुरा रोड के एबी 17 वाले बंगले को मुख्यमंत्री आवास बनाया गया था. मदन लाल खुराना सीएम रहते हुए 33 शामनाथ मार्ग में रहे तो साहिब सिंह वर्मा सीएम रहते हुए 9 शामनाथ मार्ग के बंगले में रहे. फिर सीएम शीला दीक्षित पहले एबी 17 मथुरा रोड के बंगले में रहीं और दूसरी बार सीएम बनने पर 3 मोतीलाल नेहरू मार्ग में रहीं.
2013 में जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीएम बने तो वो गाजियाबाद के अपने आवास पर ही रहे, लेकिन बाद में केजरीवाल 1650 वर्ग फीट के तिलक लेन वाले आवास में शिफ्ट हुए. फरवरी 2015 से वे छह फ्लैग स्टाफ रोड सिविल लाइंस में रहने लगे. वैसे फिलहाल आतिशी मथुरा रोड के उसी एबी 17 मथुरा रोड वाले बंगले में रह रही हैं जहां सीएम रहते हुए कभी शीला दीक्षित रह चुकी हैं.
अब सवाल यह है कि आखिर ये बंगले कि लड़ाई कहां तक जाएगी. अरविंद केजरीवाल पर भाजपा ने आरोप लगाए हैं कि उस बंगले में दिल्ली की जनता के टैक्स का पैसा लगाकर उसे शीशमहल की तरह बनवा दिया गया. उसमें कई तरह के राज हैं. इसीलिए अरविंद केजरीवाल और आप नहीं चाहते कि कोई और उस बंगले में रहे. वहीं आप का आरोप है कि भाजपा 27 सालों से दिल्ली की सत्ता में नहीं है, लेकिन उसकी नजर दिल्ली के सीएम के बंगले पर हैं. यहां पढ़ें दोनों पक्षों के सभी आरोप-केजरीवाल के बाद आतिशी को क्यों खाली करना पड़ा बंगला? जानिए पूरा मामला और बयानों के तीर
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