अमेरिका ने उत्तराखंड में चल रहे US और भारतीय सेना के संयुक्त सैन्य अभ्यास पर चीन की आपत्तियों के खिलाफ भारत का साथ खड़े रहने का ऐलान किया. भारत में यूएस चार्ज डी' अफेयर्स एलिजाबेथ जोन्स ने आज पत्रकारों से कहा कि मैं आपका ध्यान अपने भारतीय सहयोगियों द्वारा की गई टिप्पणियों की ओर ले जाना चाहूंगी. जिसमे कहा गया है कि चीन का इस संयुक्त सैन्य अभ्यास से कोई लेना-देना नहीं है. मैं भी उनकी इस बात के साथ हूं. उत्तराखंड के औली में चल रहे इस सैन्य अभ्यास को लेकर चीन ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह जगह बॉर्डर से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में यहां सैन्य अभ्यास करना अंतरराष्ट्रीय समझौते के खिलाफ है.
कुछ दिन पहले चीन ने कहा था कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास का विरोध करता है और यह नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हस्ताक्षरित दो सीमा समझौतों की भावना का उल्लंघन करता है.वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगभग 100 किमी दूर उत्तराखंड में भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास' का 18वां संस्करण वर्तमान में जारी है. इसका उद्देश्य शांति स्थापना और आपदा राहत कार्यों में दोनों सेनाओं के बीच पारस्परिकता को बढ़ाना और विशेषज्ञता साझा करना है. करीब दो हफ्ते चलने वाला यह युद्धाभ्यास हाल में शुरू हुआ है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने बुधवार को यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “चीन-भारत सीमा पर LAC के करीब भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 1993 और 1996 में चीन और भारत के बीच हुए समझौते की भावना का उल्लंघन करता है.”
पाकिस्तान के एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “यह चीन और भारत के बीच आपसी विश्वास को पूरा नहीं करता है.” चीनी विदेश मंत्रालय का 1993 और 1996 के समझौतों का संदर्भ देना दिलचस्प है क्योंकि भारत ने मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी में विवादित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजने के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रयासों को द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करार दिया था जिनके मुताबिक शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से सीमा विवाद का का समाधान किया जाना है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं