रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में किसी सड़क का निर्माण नहीं किया है. लोकसभा में प्रश्नकाल में सदस्यों के सवालों के जवाब देते हुए रक्षा मंत्री ने बताया कि पिछले दो सालों में उनके ध्यान में ऐसी कोई बात नहीं आई है, जिससे यह पता चले कि चीन ने ‘हमारे क्षेत्र’ में किसी सड़क का निर्माण किया है.
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इस जिम्मेदारी को निभाता रहा है
उन्होंने इसके साथ ही कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई के भारत चीन सीमा के आसपास बसे गांवों में बेहतर डिजिटल ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इस क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के सुझाव को स्वागत योज्ञ बताया और साथ ही इस पर विचार करने का आश्वासन भी दिया. भारत चीन सीमा पर सड़कों के निर्माण के संबंध में किए गए मूल सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इस जिम्मेदारी को निभाता रहा है और पिछले साल तक यह सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के तहत कार्यरत था.
सड़कों के निर्माण में बजट की कोई बाधा नहीं है
उन्होंने बताया कि पिछले साल ही इस विभाग को रक्षा मंत्रालय के अधीन लाया गया है. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में सड़कों के निर्माण में बजट की कोई बाधा नहीं है तथा यदि जरूरत पड़ी तो मंत्रालय अनुपूरक बजट ला सकता है. उन्होंने बताया कि 2015-2020 की दीर्घावधि कार्य योजना के तहत देश के सीमावर्ती इलाकों में 22,225.17 किलोमीटर लंबे 519 नए मार्गों का निर्माण किया जाना है.
73 मार्गों की पहचान सामरिक मार्गों के रूप में की गई है
उन्होंने साथ ही बताया कि भारत चीन सीमा पर 73 मार्गों की पहचान सामरिक मार्गों के रूप में की गई है, जिनमें से 3417 किलोमीटर लंबे 61 मार्गों के निर्माण की जिम्मेदारी बीआरओ को दी गई थी, जिन्हें वर्ष 2012 तक पूरा किए जाने की योजना थी। इसमें से 707.24 किलोमीटर लंबे 22 मार्गों का निर्माण पूरा कर लिया है. पर्रिकर ने बताया कि 39 अन्य मार्गों का निर्माण कार्य पूरा करने की योजना को संशोधित किया गया है. इसके अनुसार पांच मार्गों को इस साल, आठ मार्गों को 2017 में, 12 को 2018 में, आठ को 2019 में और बाकी छह को 2020 में पूरा किया जाएगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इस जिम्मेदारी को निभाता रहा है
उन्होंने इसके साथ ही कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई के भारत चीन सीमा के आसपास बसे गांवों में बेहतर डिजिटल ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इस क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने के सुझाव को स्वागत योज्ञ बताया और साथ ही इस पर विचार करने का आश्वासन भी दिया. भारत चीन सीमा पर सड़कों के निर्माण के संबंध में किए गए मूल सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इस जिम्मेदारी को निभाता रहा है और पिछले साल तक यह सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के तहत कार्यरत था.
सड़कों के निर्माण में बजट की कोई बाधा नहीं है
उन्होंने बताया कि पिछले साल ही इस विभाग को रक्षा मंत्रालय के अधीन लाया गया है. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में सड़कों के निर्माण में बजट की कोई बाधा नहीं है तथा यदि जरूरत पड़ी तो मंत्रालय अनुपूरक बजट ला सकता है. उन्होंने बताया कि 2015-2020 की दीर्घावधि कार्य योजना के तहत देश के सीमावर्ती इलाकों में 22,225.17 किलोमीटर लंबे 519 नए मार्गों का निर्माण किया जाना है.
73 मार्गों की पहचान सामरिक मार्गों के रूप में की गई है
उन्होंने साथ ही बताया कि भारत चीन सीमा पर 73 मार्गों की पहचान सामरिक मार्गों के रूप में की गई है, जिनमें से 3417 किलोमीटर लंबे 61 मार्गों के निर्माण की जिम्मेदारी बीआरओ को दी गई थी, जिन्हें वर्ष 2012 तक पूरा किए जाने की योजना थी। इसमें से 707.24 किलोमीटर लंबे 22 मार्गों का निर्माण पूरा कर लिया है. पर्रिकर ने बताया कि 39 अन्य मार्गों का निर्माण कार्य पूरा करने की योजना को संशोधित किया गया है. इसके अनुसार पांच मार्गों को इस साल, आठ मार्गों को 2017 में, 12 को 2018 में, आठ को 2019 में और बाकी छह को 2020 में पूरा किया जाएगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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