अदालतों में सरकारी अफसरों की पेशी पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure) के लिए सुझाव दाखिल किए हैं. केंद्र ने कहा है कि इसका लक्ष्य न्यायपालिका और सरकार के संबंधों में सुधार लाना है. सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, ट्रायल कोर्ट के लिए ड्राफ्ट SoP है. सरकारी अधिकारियों को केवल असाधारण मामलों में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा जाए, अधिकारियों को तलब करते समय अदालतें संयम बरतें. अधिकारियों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए.
ड्राफ्ट SoP में कहा गया है, सरकारी अधिकारियों को केवल असाधारण मामलों में ही व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा जाना चाहिए. अदालतों को सरकारी अधिकारियों को तलब करते समय आवश्यक संयम बरतना चाहिए. अधिकारियों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए.
सरकार द्वारा पारित आदेश से संबंधित किसी भी मामले की सुनवाई आदेश की वैधता निर्धारित करने तक सीमित होनी चाहिए. सरकारी वकीलों द्वारा अदालत में दिए गए बयानों के लिए कोई अवमानना मामला शुरू नहीं किया जाना चाहिए. जजों को अपने ही आदेश के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही नहीं करनी चाहिए. नीतिगत मामलों से जुड़े मामलों को आवश्यक कार्रवाई के लिए सरकार के पास भेजा जाना चाहिए. सरकार को अदालत के आदेशों का पालन करने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल SoP में कहा गया है कि इसे सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अन्य सभी अदालतों के समक्ष सरकार से संबंधित मामलों की सभी अदालती कार्यवाही पर लागू किया जाना चाहिए जो अपने संबंधित अपीलीय और/या मूल क्षेत्राधिकार के तहत या अदालत की अवमानना से संबंधित कार्यवाही की सुनवाई कर रहे हैं.
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