नसीम जैदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी ने कहा कि भारत में चुनाव लड़ रहे ज्यादातर उम्मीदवार अपने खर्च को ‘कम करके दिखा रहे’ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक कोषों के नियमन के लिए नाकाफी कानूनों से ऐसे ‘भयावह’ हालात पैदा हो सकते हैं, जिसमें संस्थाएं ‘धनबल के नियंत्रण’ में चली जाएं और निष्पक्ष चुनाव कराने मुश्किल हो जाएं।
मौजूदा व्यवस्था असरदार नहीं
उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों की ओर से इकट्ठा किए गए चंदे और कोष के नियमन की मौजूदा व्यवस्था काले धन और वोटरों को लुभाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अवैध प्रलोभनों पर लगाम लगाने में ज्यादा असरदार नहीं है और इससे देश में चुनावी प्रक्रिया के लिए एक समान धरातल तैयार करने में दिक्कतें आ रही हैं।
चुनाव महंगे हो रहे हैं
एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, समय बीतने के साथ-साथ चुनाव महंगे होते जा रहे हैं। आम नागरिक, यहां तक कि अच्छे निजी रिकॉर्ड और लोक सेवा के बाद भी, चुनाव लड़ने का सपना तक नहीं देख सकते। कुछ राजनीतिक पार्टियां और उनके उम्मीदवार उपलब्ध संसाधनों को इकट्ठा करते जा रहे हैं। ये हालात पार्टियों को धनबल पर निर्भर बनाते जा रहे हैं, जिसके प्रतिकूल प्रभाव समाज एवं राजनीति पर पड़ रहे हैं।
मौजूदा व्यवस्था असरदार नहीं
उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों की ओर से इकट्ठा किए गए चंदे और कोष के नियमन की मौजूदा व्यवस्था काले धन और वोटरों को लुभाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अवैध प्रलोभनों पर लगाम लगाने में ज्यादा असरदार नहीं है और इससे देश में चुनावी प्रक्रिया के लिए एक समान धरातल तैयार करने में दिक्कतें आ रही हैं।
चुनाव महंगे हो रहे हैं
एक वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, समय बीतने के साथ-साथ चुनाव महंगे होते जा रहे हैं। आम नागरिक, यहां तक कि अच्छे निजी रिकॉर्ड और लोक सेवा के बाद भी, चुनाव लड़ने का सपना तक नहीं देख सकते। कुछ राजनीतिक पार्टियां और उनके उम्मीदवार उपलब्ध संसाधनों को इकट्ठा करते जा रहे हैं। ये हालात पार्टियों को धनबल पर निर्भर बनाते जा रहे हैं, जिसके प्रतिकूल प्रभाव समाज एवं राजनीति पर पड़ रहे हैं।
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