प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की उस मांग को ठुकरा दिया जिसमें कावेरी को लेकर स्कीम को जुलाई तक टालने को कहा गया है, क्योंकि फिलहाल वहां सरकार नहीं है. CJI ने कहा कि स्कीम लागू करने का काम केंद्र का है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से गुरुवार को संशोधित स्कीम कोर्ट में दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट कावेरी जल की निगरानी करने वाले प्राधिकरण का नाम बोर्ड रखने को तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट कावेरी जल विवाद मामले की सुनवाई कल करेगा.
कोर्ट ने साफ कहा कि अंतरराज्यीय बहने वाली नदियां राष्ट्रीय संपदा हैं. कोर्ट के आदेश का पालन सूझबूझ से किया जाए. ये कोई कोर्ट की डिक्री नहीं है कि आप किसी की सम्पति संलग्न कर लें.सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि कमेटी का हेडक्वार्टर बेंगलुरु क्यों रखा गया जबकि इसे दिल्ली में होना चाहिए.कोर्ट ने कहा कि रेगुलेटिंग ऑथोरिटी बैंगलोर या संबंधित राज्य में हो सकता है लेकिन हेडक्वार्टर दिल्ली ही होना चाहिए.
यह भी पढ़ें : कावेरी मामला: केंद्र सरकार ने SC में दाखिल की स्कीम, कोर्ट ने कहा- वैधता पर नहीं होगी सुनवाई
वहीं कर्नाटक सरकार ने कहा कि इस समय हमारे पास सरकार नहीं है, सरकार बनाने की प्रक्रिया चल रही है. लिहाजा मामले की सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में की जाए. इस पर तमिलनाडु सरकार ने कहा कि ये कहना गलत है कि सरकार नहीं है, दरअसल सरकार हमेशा होती है. गुरुवार को मामले की सुनवाई होगी.
कावेरी जल बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कावेरी जल बंटवारे के मसले पर अपना मसौदा दाखिल कर दिया है. चार दक्षिणी राज्यों (कर्नाटक, तमिलानाडु, केरल और पुडुचेरी) के बीच कावेरी जल बंटवारे पर चल रही कानूनी लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कावेरी प्रबंधन योजना पर मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया था.
VIDEO : चेन्नई में विरोध का साया आईपीएल पर
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, 'हम मसौदे को ठीक करने नहीं जा सकते हैं, लेकिन कोर्ट के आदेशानुसार राज्य और केंद्र में तालमेल ठीक करवा सकते हैं.' केंद्र की ओर से जो मसौदा पेश किया गया है, उसे संबंधित राज्यों को दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से गुरुवार को संशोधित स्कीम कोर्ट में दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट कावेरी जल की निगरानी करने वाले प्राधिकरण का नाम बोर्ड रखने को तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट कावेरी जल विवाद मामले की सुनवाई कल करेगा.
कोर्ट ने साफ कहा कि अंतरराज्यीय बहने वाली नदियां राष्ट्रीय संपदा हैं. कोर्ट के आदेश का पालन सूझबूझ से किया जाए. ये कोई कोर्ट की डिक्री नहीं है कि आप किसी की सम्पति संलग्न कर लें.सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि कमेटी का हेडक्वार्टर बेंगलुरु क्यों रखा गया जबकि इसे दिल्ली में होना चाहिए.कोर्ट ने कहा कि रेगुलेटिंग ऑथोरिटी बैंगलोर या संबंधित राज्य में हो सकता है लेकिन हेडक्वार्टर दिल्ली ही होना चाहिए.
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वहीं कर्नाटक सरकार ने कहा कि इस समय हमारे पास सरकार नहीं है, सरकार बनाने की प्रक्रिया चल रही है. लिहाजा मामले की सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में की जाए. इस पर तमिलनाडु सरकार ने कहा कि ये कहना गलत है कि सरकार नहीं है, दरअसल सरकार हमेशा होती है. गुरुवार को मामले की सुनवाई होगी.
कावेरी जल बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कावेरी जल बंटवारे के मसले पर अपना मसौदा दाखिल कर दिया है. चार दक्षिणी राज्यों (कर्नाटक, तमिलानाडु, केरल और पुडुचेरी) के बीच कावेरी जल बंटवारे पर चल रही कानूनी लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कावेरी प्रबंधन योजना पर मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया था.
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कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, 'हम मसौदे को ठीक करने नहीं जा सकते हैं, लेकिन कोर्ट के आदेशानुसार राज्य और केंद्र में तालमेल ठीक करवा सकते हैं.' केंद्र की ओर से जो मसौदा पेश किया गया है, उसे संबंधित राज्यों को दिया जाएगा.
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