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This Article is From Nov 19, 2015

मां की देखभाल करना बेटे का फर्ज : अदालत

मां की देखभाल करना बेटे का फर्ज : अदालत
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बैंच के भवन का फाइल फोटो।
मदुरै: मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को यह कहते हुए कि धर्म के अनुसार पुत्र अपनी मां की देखभाल करने के लिए कर्तव्य से बंधे हैं, कनाडा में बसे एक व्यक्ति को अपनी मां को प्रति माह 15 हजार रुपये का गुजारा भत्ता देने को कहा। उस व्यक्ति की प्रति माह तीन लाख रुपये की आमदनी है।

कनाडा में बसे बेटे को भारत में रह रही मां को देना होगा गुजारा भत्ता
महिला पोन देवकी के बड़े बेटे द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका का निस्तारण करते हुए न्यायमूर्ति एस विमला की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने कहा, ‘मां का अपने बेटे से यह उम्मीद करना कि वह उसका खयाल रखेगा यह न सिर्फ वैधानिक अधिकार, संवैधानिक अधिकार, मौलिक अधिकार, प्राकृतिक और नैतिक अधिकार है बल्कि मानवाधिकार भी है।’ याचिका में मदुरै की परिवार अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें उस व्यक्ति को अपनी मां को प्रति माह तीन हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था।

मां को अदालत पहुंचने के लिए मजबूर नहीं करना था
न्यायाधीश ने कहा कि धर्म के अनुसार पुत्र मां की देखभाल करने के कर्तव्य से बंधे हैं। जब धर्म कहता है कि पुत्रों को अपने माता-पिता की देखभाल करनी चाहिए तो इसका मतलब है कि कर्तव्य निर्वहन में उल्लंघन दंडनीय है। न्यायाधीश ने कहा कि पुत्र को अपनी मां को परिवार अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए था। बड़ा बेटा पुत्र के कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों पर बात करने की बजाय मां के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की बात कर रहा था। न्यायाधीश ने कहा, ‘उसे इस तरह बोलने का कोई अधिकार नहीं है।’

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