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F-35 फाइटर को हैंगर में क्यों नहीं रखना चाहता ब्रिटेन? जानें तकनीकी खराबी दूर नहीं हुई तो क्‍या होगा

F-35 ब्रिटेन की रॉयल नेवी का फिफ्थ जनरेशन स्टेल्थ फाइटर जेट है, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है. भारत ने इसे हैंगर देने की पेशकश की है, लेकिन ब्रिटेन की अनुमति नहीं दी है.

F-35 फाइटर को हैंगर में क्यों नहीं रखना चाहता ब्रिटेन? जानें तकनीकी खराबी दूर नहीं हुई तो क्‍या होगा
ब्रिटेन नहीं चाहता कि उसके टेक्नीशियन की मौजूदगी के बिना विमान को हैंगर में ले जाया जाए.
  • F-35 विमान तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर 20 दिन से खुले आसमान के नीचे खड़ा है.
  • ब्रिटेन की अनुमति के बिना भारत इस विमान को हैंगर में नहीं रख सकता है.
  • ब्रिटेन की एजेंसियां इस विमान की तकनीक की निगरानी कर रही हैं.
  • ब्रिटेन से इंजीनियरों की टीम इस हफ्ते तकनीकी समस्याओं को दूर करने आ सकती है.
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नई दिल्‍ली :

दुनिया का सबसे आधुनिक और खतरनाक लड़ाकू विमान F-35 तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर करीब 20 दिन से बारिश और तेज धूप को झेलता हुआ खुले आसमान के नीचे खड़ा है. यह कोई साधारण लड़ाकू विमान नहीं है, बल्कि ब्रिटेन की रॉयल नेवी का फिफ्थ जनरेशन स्टेल्थ फाइटर जेट है, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है. ऐसा नहीं है कि भारत ने इसे हैंगर (शेड) देने से मना कर दिया है. असली वजह यह है कि जब तक ब्रिटेन की अनुमति न दे, तब तक भारत अपने स्तर पर इस विमान को हैंगर में नहीं रख सकता है. 

ब्रिटेन नहीं चाहता कि उसके टेक्नीशियन की मौजूदगी के बिना विमान को हैंगर में ले जाया जाए. उन्हें डर है कि कहीं भारत इसकी उन्नत तकनीक तक पहुंच न बना ले, जब तक यह विमान खुले में है, ब्रिटेन की एजेंसियां सैटेलाइट और अन्य तकनीकी माध्यमों से इसकी निगरानी कर सकती हैं.  

केरल टूरिज्‍म ने ली चुटकी

इसी संदर्भ में F-35 विमान की फोटो के साथ दो दिन पहले केरल टूरिज्म ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक हल्के-फुल्के अंदाज में पोस्ट किया और लिखा कि केरल एक ऐसी जगह है जिसे आप छोड़कर जाना नहीं चाहेंगे. साथ ही विमान की तस्‍वीर के साथ लिखा था, “केरल एक अद्भुत जगह है. मैं यहां से जाना नहीं चाहता.” 

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इस हफ्ते पहुंच सकती है इंजीनियरों की टीम 

सूत्रों के अनुसार, संभावना है कि इस हफ्ते के अंत तक ब्रिटेन से इंजीनियरों की एक टीम विशेष उपकरणों के साथ तिरुवनंतपुरम पहुंचेगी. यह टीम विमान में आई तकनीकी गड़बड़ियों को दूर करने की कोशिश करेगी. 

ऐसी भी चर्चा है कि अगर टीम इन समस्याओं को ठीक नहीं कर पाती है तो विमान को डिसमेंटल करके ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से वापस ब्रिटेन ले जाया जा सकता है. 

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इसलिए मांगी थी लैंडिंंग की अनुमति 

बता दें कि 14 जून की रात करीब 9:30 बजे यह विमान भारत में ग्राउंडेड हुआ. इससे पहले इसके पायलट ने ईंधन की कमी के कारण तिरुवनंतपुरम में इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मांगी थी. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने न सिर्फ सुरक्षित लैंडिंग में सहायता की, बल्कि विमान की मरम्मत और वापसी के लिए हर संभव तकनीकी और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी प्रदान किया.

ब्रिटेन की रॉयल नेवी की एक टीम ने हेलीकॉप्टर से टेक्नीशियन का दल भी भेजा, लेकिन अब तक विमान उड़ान भरने में असमर्थ रहा है. 

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2,000 किमी/घंटे की रफ्तार सहित कई खूबियां 

F-35 एक सिंगल इंजन मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जो करीब 2,000 किमी/घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. यह कम दूरी के रनवे से टेकऑफ कर सकता है और यहां तक कि हेलीकॉप्टर की तरह वर्टिकल टेकऑफ की क्षमता भी रखता है. 

यह विमान केवल हवाई लड़ाई ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, खुफिया निगरानी, एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिशन भी एक साथ अंजाम देने में सक्षम है. इसीलिए अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश अपने ऐसे ‘गेम चेंजर' विमानों को किसी भी तीसरे देश में यूं ही नहीं छोड़ते. हालांकि इतने लंबे समय तक भारत में खुले में खड़े रहने से कई सवाल जरूर खड़े होते हैं. 

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