भाजपा सांसद वरुण गांधी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से पत्र लिखकर अपील की है कि आर्थिक रूप से संपन्न सांसदों द्वारा 16वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोड़ने के लिए आंदोलन शुरू करें. बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने लोकसभा स्पीकर को लिखे पत्र में कहा है कि सांसदो की सैलरी 16वीं लोकसभा में नहीं बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि 16वीं लोकसभा में 440 सांसद ऐसे हैं जिनकी संपत्ति करोड़ रुपये हैं.
यह भी पढ़ें : वरुण गांधी ने कहा, नाम के साथ 'गांधी' जुड़ा होना कम उम्र में सांसद बनने में रहा मददगार
लोकसभा में प्रति सांसद संपत्ति 14.61 करोड़ रुपये हैं और राज्यसभा में प्रति सांसद संपत्ति 20.12 करोड़ है. ऐसे में लोकसभा स्पीकर के नाते वह करोड़ों की संपत्ति रखने वाले सांसदो से अपील करें कि वो सांसद के तौर पर सैलरी नहीं लें. वरुण गांधी ने अपने पत्र में उदाहरण दिया कि 1949 में नेहरू की कैबिनेट ने देश के आर्थिक हालत को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया था कि वो उनकी पूरी कैबिनेट तीन महीने तक सैलरी नहीं ले लेगी. वरुण ने अपने पत्र में लिखा हैं कि वो एक कॉन्स्टि्टूशनल बॉडी बनाए जो समय-समय पर ये बताए कि सांसदो और विधायकों की सैलरी कब और कितनी बढ़नी चाहिए.
यह भी पढ़ें : लोकसभा में छलका नरेश अग्रवाल का दर्द, 'हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी कम है'
लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में वरुण गांधी ने कहा कि भारत में असमानता प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. भारत में एक प्रतिशत अमीर लोग देश की कुल संपदा के 60 प्रतिशत के मालिक हैं. 1930 में 21 प्रतिशत लोगों के पास इतनी संपदा थी. भारत में 84 अरबपतियों के पास देश की 70 प्रतिशत संपदा है. यह खाई हमारे लोकतंत्र के लिए हानिकारक है.
यह भी पढ़ें : सांसदों को चाहिए बढ़ी सैलरी, वेतन-भत्तों संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट को लागू करने की मांग
भाजपा सांसद ने कहा कि हमें जन प्रतिनिधि के तौर पर देश की सामाजिक, आर्थिक हकीकत के प्रति सक्रिय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि वह समझते हैं कि सभी सांसद ऊंची आर्थिक स्थिति नहीं रखते हैं और कई अपनी आजीविका के लिए वेतन पर ही निर्भर करते हैं. वरुण गांधी ने अपने पत्र में लिखा, 'स्पीकर महोदया से मेरा निवेदन है कि आर्थिक रूप से सम्पन्न सांसदों द्वारा 16वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोड़ने के लिए आंदोलन शुरू करें.'
उन्होंने कहा कि ऐसी स्वैच्छिक पहल से हम निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की संवेदनशीलता को लेकर देशभर में एक सकारात्मक संदेश जाएगा. उन्होंने लिखा कि अगर वेतन छोड़ने को कहना बहुत बड़ी मांग है तो अपनी मर्जी से अनाधिकार खुद का वेतन बढ़ा लेने की जगह पर स्पीकर महोदया वैकल्पिक तरीके को लेकर एक नया विमर्श पेश कर सकती हैं. भाजपा सांसद ने कहा कि 16वीं लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल में हमारे वेतन को जस का तस रखने का फैसला भी इस दिशा में एक स्वागतयोग्य कदम हो सकता है.
VIDEO : क्या सांसदों के वेतन, भत्ते बढ़ने चाहिए?
उन्होंने सुझाव दिया कि ब्रिटेन की रिव्यू बॉडी ऑन सीनियर सैलरी की तरह एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था की स्थापना की जा सकती है जो ऐसे फैसले की वहनीयता और सांसद की वित्तीय क्षतिपूर्ति की जांच करेगी और फैसला करेगी. वरुण गांधी ने कहा कि ऐसे कदम से कुछ लोगों को असुविधा होगी, लेकिन इससे समग्र रूप से प्रतिष्ठान के प्रति लोगों का भरोसा पैदा होगा.
(इनपुट : भाषा)
यह भी पढ़ें : वरुण गांधी ने कहा, नाम के साथ 'गांधी' जुड़ा होना कम उम्र में सांसद बनने में रहा मददगार
लोकसभा में प्रति सांसद संपत्ति 14.61 करोड़ रुपये हैं और राज्यसभा में प्रति सांसद संपत्ति 20.12 करोड़ है. ऐसे में लोकसभा स्पीकर के नाते वह करोड़ों की संपत्ति रखने वाले सांसदो से अपील करें कि वो सांसद के तौर पर सैलरी नहीं लें. वरुण गांधी ने अपने पत्र में उदाहरण दिया कि 1949 में नेहरू की कैबिनेट ने देश के आर्थिक हालत को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया था कि वो उनकी पूरी कैबिनेट तीन महीने तक सैलरी नहीं ले लेगी. वरुण ने अपने पत्र में लिखा हैं कि वो एक कॉन्स्टि्टूशनल बॉडी बनाए जो समय-समय पर ये बताए कि सांसदो और विधायकों की सैलरी कब और कितनी बढ़नी चाहिए.
यह भी पढ़ें : लोकसभा में छलका नरेश अग्रवाल का दर्द, 'हमारी सैलरी हमारे सचिव से भी कम है'
लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में वरुण गांधी ने कहा कि भारत में असमानता प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. भारत में एक प्रतिशत अमीर लोग देश की कुल संपदा के 60 प्रतिशत के मालिक हैं. 1930 में 21 प्रतिशत लोगों के पास इतनी संपदा थी. भारत में 84 अरबपतियों के पास देश की 70 प्रतिशत संपदा है. यह खाई हमारे लोकतंत्र के लिए हानिकारक है.
यह भी पढ़ें : सांसदों को चाहिए बढ़ी सैलरी, वेतन-भत्तों संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट को लागू करने की मांग
भाजपा सांसद ने कहा कि हमें जन प्रतिनिधि के तौर पर देश की सामाजिक, आर्थिक हकीकत के प्रति सक्रिय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि वह समझते हैं कि सभी सांसद ऊंची आर्थिक स्थिति नहीं रखते हैं और कई अपनी आजीविका के लिए वेतन पर ही निर्भर करते हैं. वरुण गांधी ने अपने पत्र में लिखा, 'स्पीकर महोदया से मेरा निवेदन है कि आर्थिक रूप से सम्पन्न सांसदों द्वारा 16वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोड़ने के लिए आंदोलन शुरू करें.'
उन्होंने कहा कि ऐसी स्वैच्छिक पहल से हम निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की संवेदनशीलता को लेकर देशभर में एक सकारात्मक संदेश जाएगा. उन्होंने लिखा कि अगर वेतन छोड़ने को कहना बहुत बड़ी मांग है तो अपनी मर्जी से अनाधिकार खुद का वेतन बढ़ा लेने की जगह पर स्पीकर महोदया वैकल्पिक तरीके को लेकर एक नया विमर्श पेश कर सकती हैं. भाजपा सांसद ने कहा कि 16वीं लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल में हमारे वेतन को जस का तस रखने का फैसला भी इस दिशा में एक स्वागतयोग्य कदम हो सकता है.
VIDEO : क्या सांसदों के वेतन, भत्ते बढ़ने चाहिए?
उन्होंने सुझाव दिया कि ब्रिटेन की रिव्यू बॉडी ऑन सीनियर सैलरी की तरह एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था की स्थापना की जा सकती है जो ऐसे फैसले की वहनीयता और सांसद की वित्तीय क्षतिपूर्ति की जांच करेगी और फैसला करेगी. वरुण गांधी ने कहा कि ऐसे कदम से कुछ लोगों को असुविधा होगी, लेकिन इससे समग्र रूप से प्रतिष्ठान के प्रति लोगों का भरोसा पैदा होगा.
(इनपुट : भाषा)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं