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उद्धव ठाकरे से संपर्क में बीजेपी, NDA में वापसी की हो रही कोशिश : सूत्र

लोकसभा चुनावों में बीजेपी को खुद अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है, जिसकी वजह से सरकार बनाने के लिए वह अपने सहयोगियों पर निर्भर है. सहयोगियों में मलाईदार मंत्री पद के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स जारी है.

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उद्धव ठाकरे से संपर्क में बीजेपी, NDA में वापसी की हो रही कोशिश : सूत्र
सबसे बड़ा सवाल ये है- क्या INDIA छोड़कर NDA में वापस आएंगे?

नतीजों के बाद देश में एनडीए की सरकार बनने जा रही है. अब खबर ये भी आ रही है कि बीजेपी एनडीए में वापसी के लिए उद्धव ठाकरे के संपर्क में है. एक केंद्रीय मंत्री को उद्धव से बातचीत में लगाया गया है. हालांकि बीजेपी के सामने इसमें सबसे बड़ी चुनौती एकनाथ शिंदे को मनाना होगा. इसके साथ ही शिंदे गुट के सांसदों का क्या स्टैंड होगा. बताया जा रहा है कि जेपी नड्डा के आवास पर जब बैठक हुई तो ये कहा गया कि उद्धव ठाकरे को वापस एनडीए में लाया जाए क्योंकि एनडीए को कुनबा बढ़ाने की जरूरत है.  हालांकि उद्धव ठाकरे कि इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी ये महत्वपूर्ण है, जिनका कहना है कि उन्होंने इन चुनावों में पिता की विरासत नहीं, बल्कि जीरो से शुरुआत की है. दरअसल, बीजेपी को खुद अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है, जिसकी वजह से वह अपने सहयोगियों पर निर्भर है. सहयोगियों में मलाईदार मंत्री पद के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स जारी है. टीडीपी ने लोकसभा अध्यक्ष पद के साथ-साथ 4 सांसदों पर एक मंत्री पद की मांग की है.

जेडीयू ने केंद्र में सरकार गठन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से की जा रही कवायदों के बीच सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ' योजना की समीक्षा किए जाने की मांग उठाई है. जद (यू) के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने यहां संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ‘‘अग्निपथ योजना को लेकर मतदाताओं के एक हिस्से में नाराजगी रही है। हमारी पार्टी चाहती है कि विस्तार से उन कमियों और खामियों को दूर किया जाए जिसको लेकर जनता ने सवाल उठाए हैं.''

इसके साथ ही केसी त्यागी ने कहा, ‘‘यूसीसी पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) विधि आयोग के अध्यक्ष को चिट्ठी लिख चुके हैं. हम इसके विरुद्ध नहीं हैं. लेकिन जितने भी हितधारक हैं, चाहे मुख्यमंत्री हों, विभिन्न राजनीतिक दल हों या समुदाय हों, सबसे बात करके ही इसका हल निकाला जाना चाहिए. जाति आधारित जनगणना के सवाल पर जद(यू) नेता ने कहा कि देश में किसी भी पार्टी ने इसके विरोध में नहीं कहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में बिहार ने रास्ता दिखाया है. प्रधानमंत्री ने भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में इसका विरोध नहीं किया. जाति आधारित जनगणना समय की मांग है. हम इसे आगे बढ़ाएंगे.''एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जद (यू) ने राजग को बिना शर्त समर्थन दिया है, लेकिन बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग ‘हमारे दिल' में है.

जद (यू) के वरिष्ठ नेता का ये बयान बुधवार को राजग की बैठक के एक दिन बाद आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बैठक में सर्वसम्मति से राजग का नेता चुना गया था. राजग ने लोकसभा चुनाव में 293 सीटें जीती हैं जो 543 सदस्यीय सदन में बहुमत के 272 के आंकड़े से अधिक हैं. इससे मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने का मार्ग प्रशस्त हुआ. संख्या के लिहाज से चंद्रबाबू नायडू नीत तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के बाद जद (यू) राजग का तीसरा सबसे बड़ा घटक है। तेदेपा ने इस चुनाव में 16 जबकि जबकि जद (यू) ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की है.  

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