नई दिल्ली:
बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को नहीं लगता है कि राम मंदिर उनकी पार्टी के लिए चुनावी मुद्दा है। जसवंत बीएचपी के उस बयान से भी सहमत नहीं है, जिसमें कहा गया है कि राम मंदिर राजनीतिक मसला है।
जसवंत ने कहा है कि फिलहाल इस मुद्दे को नहीं उठाना चाहिए अगर संसद में बहुमत मिलता है तो इसके बारे में सोचा जा सकता है। अयोध्या दो समुदायों का मुद्दा है, इसे दोनों को या फिर कोर्ट को सुलझाना चाहिए। तीसरा कोई रास्ता नहीं है।
उधर, विश्व हिन्दू परिषद की इस धर्मसंसद में जोर-शोर से मंदिर निर्माण का मुद्दा और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के लिए आवाज उठी है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों-इशारों में नरेन्द्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का समर्थन किया, लेकिन कहा कि अपने फैसले के नतीजों के लिए पार्टी जिम्मेदार होगी।
विहिप की धर्म संसद में बोलते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मोदी का नाम आने का अप्रत्यक्ष तौर पर जिक्र किया।
गुजरात के मुख्यमंत्री का नाम लिए बिना भागवत ने कहा, लोग जानते हैं कि आपके दिल में क्या है..पूरा देश इसी आवाज में सुर मिला रहा है। ‘‘इसीलिए हमें इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इस बारे में क्या किया जाना है इस पर उन्हें (भाजपा को) फैसला करना है। हमें उन्हें ऐसा करने देना चाहिए। उनके किए का परिणाम अगर गलत हुआ तो इसका नतीजा भी उन्हें ही भुगतना होगा। इससे पूर्व कुछ संतों ने भाजपा द्वारा मोदी को अगले चुनाव में भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का समर्थन किया। इसके बाद भागवत ने यह टिप्पणी की।
दरअसल, महाकुंभ के मौके पर बैठी धर्मसंसद में बार-बार नरेंद्र मोदी का ही नाम गूंजता रहा, हालांकि इस बात से भरसक परहेज रखने की कोशिश की गई, लेकिन साधु संतों ने कई बार मोदी का नाम सामने रखा।
धर्मसंसद में जुटे साधु संतों की जमात को इस बात की उम्मीद थी कि जैसे राममंदिर के मुद्दे पर राजनाथ सिंह मुहर लगा गए वैसा कुछ इस बार भी होगा पर बीजेपी ऐसा करके शायद कोई बखेड़ा मोल लेना नहीं चाहती। इधर, राम मंदिर के नाम नए सिरे से मुहिम छेड़ने के ऐलान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मंदिर के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
जसवंत ने कहा है कि फिलहाल इस मुद्दे को नहीं उठाना चाहिए अगर संसद में बहुमत मिलता है तो इसके बारे में सोचा जा सकता है। अयोध्या दो समुदायों का मुद्दा है, इसे दोनों को या फिर कोर्ट को सुलझाना चाहिए। तीसरा कोई रास्ता नहीं है।
उधर, विश्व हिन्दू परिषद की इस धर्मसंसद में जोर-शोर से मंदिर निर्माण का मुद्दा और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के लिए आवाज उठी है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों-इशारों में नरेन्द्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का समर्थन किया, लेकिन कहा कि अपने फैसले के नतीजों के लिए पार्टी जिम्मेदार होगी।
विहिप की धर्म संसद में बोलते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मोदी का नाम आने का अप्रत्यक्ष तौर पर जिक्र किया।
गुजरात के मुख्यमंत्री का नाम लिए बिना भागवत ने कहा, लोग जानते हैं कि आपके दिल में क्या है..पूरा देश इसी आवाज में सुर मिला रहा है। ‘‘इसीलिए हमें इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इस बारे में क्या किया जाना है इस पर उन्हें (भाजपा को) फैसला करना है। हमें उन्हें ऐसा करने देना चाहिए। उनके किए का परिणाम अगर गलत हुआ तो इसका नतीजा भी उन्हें ही भुगतना होगा। इससे पूर्व कुछ संतों ने भाजपा द्वारा मोदी को अगले चुनाव में भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का समर्थन किया। इसके बाद भागवत ने यह टिप्पणी की।
दरअसल, महाकुंभ के मौके पर बैठी धर्मसंसद में बार-बार नरेंद्र मोदी का ही नाम गूंजता रहा, हालांकि इस बात से भरसक परहेज रखने की कोशिश की गई, लेकिन साधु संतों ने कई बार मोदी का नाम सामने रखा।
धर्मसंसद में जुटे साधु संतों की जमात को इस बात की उम्मीद थी कि जैसे राममंदिर के मुद्दे पर राजनाथ सिंह मुहर लगा गए वैसा कुछ इस बार भी होगा पर बीजेपी ऐसा करके शायद कोई बखेड़ा मोल लेना नहीं चाहती। इधर, राम मंदिर के नाम नए सिरे से मुहिम छेड़ने के ऐलान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मंदिर के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
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