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This Article is From Dec 14, 2016

सहारा-बिड़ला डायरी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को ठोस सबूतों के साथ आने को कहा

सहारा-बिड़ला डायरी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को ठोस सबूतों के साथ आने को कहा
वरिष्‍ठ वकील प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: सहारा-बिड़ला डायरी में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते वक्त मोदी और अन्‍य नेताओं को करोड़ों की घूस के आरोप के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्‍ठ वकील प्रशंत भूषण को पुख्‍ता सबूतों के साथ शुक्रवार को कोर्ट आने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि 'ये आरोप गंभीर हैं और उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ हैं. आप देश के प्रधानमंत्री पर भी आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में इन पर यूं ही आरोप नहीं लगाए जा सकते, अगर पुख्ता सबूत हों तो मामले की आगे सुनवाई करेंगे. अदालत ने कहा, 'आप अगर ऐसे ही आरोप लगाते रहेंगे तो संवैधानिक अथॉरिटी को काम करना मुश्किल हो जाएगा. हमने पहले भी कहा था कि इस मामले में कोई सबूत देंगे तो सुनवाई करेंगे.'

प्रशांत भूषण ने जवाब में कहा कि वो पीएम पर आरोप नहीं लगा रहे. दोनों के पास से इंकम टैक्स को ये सारे दस्तावेज मिले हैं. उनके पास 1500 पेज की रिपोर्ट भी है जिस पर वो हलफनामा दाखिल करेंगे. 12 दिसंबर को कोर्ट बंद था इसलिए उन्होंने तय किया कि वो इस रिपोर्ट को खंगालकर हलफनामा दाखिल करेंगे. लिस्ट में अगली तारीख 11 जनवरी दिखाई दे रही थी.

कोर्ट ने कहा, 'तारीख 14 दिसंबर पहले से ही तय थी. एक बार हमने जो तारीख दे दी, उसे कोई नहीं बदल सकता. यहां तक कि चीफ जस्टिस कोर्ट बदल सकते हैं लेकिन तारीख नहीं. इसके लिए ज्यादा वक्त नहीं दिया जा सकता. पहले ही कह दिया गया था कि कोई सबूत होगा तो सुनवाई करेंगे.' इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि इतनी जल्दी क्यों है? तो कोर्ट ने कहा कि क्योंकि लोग बड़े पदों के लोगों के बारे में बात कर रहे हैं. यदि इसी तरह आरोप लगते रहे तो वो काम कैसे करेंगे? पिछली बार शांति भूषण और राम जेठमलानी ने कहा था कि वो सबूत रिकॉर्ड के साथ कोर्ट में रखेंगे. लोकिन आज दोनों में से कोई नहीं है.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा और बिड़ला ग्रुप द्वारा बड़े नेताओं को करोड़ों रुपये देने के मामले की SIT से जांच कराने से इंकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्योंकि मामला एक बड़े जनप्रतिनिधि से जुड़ा है, सिर्फ इसलिए मामले की जांच के आदेश नहीं दे सकते. जो कागजात दिए गए हैं, उनके आधार पर जांच नहीं कराई जा सकती क्योंकि सहारा के दस्तावेज तो पहले ही फर्जी पाए गए हैं. हमने ये अपने आदेश में भी कहा था. कोई भी किसी के नाम की कंप्यूटर में एंट्री कर सकता है, इसे तवज्जो नहीं दी सकती. याचिकाकर्ता कोई ठोस सबूत दे तो सुनवाई कर सकते हैं. अगर कोई ठोस दस्तावेज ना मिलें तो मामले को फिर से कोर्ट ना लाएं.'

प्रशांत भूषण की याचिका में कहा गया है कि सीबीआई और इनकम टैक्स की रेड में ये दस्तावेज मिले थे कि उन्होंने कई नेताओं जिनमें कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हैं, को करोड़ों की घूस दी थी. इस मामले की सुप्रीम कोर्ट SIT से जांच कराए. सीबीआई और आयकर के जब्त किए गए कागजातों को कोर्ट में मंगवाया जाए.

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