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This Article is From Jan 20, 2024

राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में भिवंडी की अदालत ने सुनवाई स्थगित की

कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के उस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसमें उनके कथित अपमानजनक भाषण की प्रतिलिपि को मामले में सबूत के रूप में प्रदर्शित करने की अनुमति दी गई थी.

राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में भिवंडी की अदालत ने सुनवाई स्थगित की
कांग्रेस नेता राहुल गांधी
ठाणे:

महाराष्ट्र में ठाणे जिले की एक अदालत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यकर्ता द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि मामले की सुनवाई शनिवार को 16 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी. वायनाड लोकसभा सीट से सांसद ने यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था कि वह अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में व्यस्त हैं.

उनके वकील नारायण अय्यर ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि भिवंडी अदालत के मजिस्ट्रेट एल. सी. वाडिकर ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया और सुनवाई स्थगित कर दी.

राहुल गांधी की अर्जी में कहा गया है कि 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू हुई ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा' 20 मार्च को मुंबई में समाप्त होने की संभावना है. उन्होंने स्थगन के कारण के तौर पर बम्बई उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित एक आपराधिक रिट याचिका का भी हवाला दिया.

कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के उस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसमें उनके कथित अपमानजनक भाषण की प्रतिलिपि को मामले में सबूत के रूप में प्रदर्शित करने की अनुमति दी गई थी. हालांकि, मजिस्ट्रेट ने शनिवार को कहा कि उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई है.

छह मार्च, 2014 को भिवंडी के पास एक चुनावी रैली में कांग्रेस नेता के उस बयान पर आरएसएस के स्थानीय सदस्य राजेश कुंटे ने आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘‘आरएसएस के लोगों ने (महात्मा) गांधी को मार डाला.''

शिकायतकर्ता ने कहा है कि उन्होंने (राहुल गांधी) यह झूठा दावा करके आरएसएस को बदनाम किया है. राहुल गांधी देशभर में मानहानि के कई मुकदमों का सामना कर रहे हैं.

सूरत की एक अदालत ने पिछले साल मानहानि के एक मामले में उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी.

ठाणे शहर की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने शुक्रवार को मानहानि के एक दीवानी मुकदमे में लिखित बयान दाखिल करने में देरी की माफी के लिए उन पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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