भारत बायोटेक ने वैक्सीन ट्रायल (Bharat Biotech Vaccine Trial) के दौरान भोपाल में एक वालंटियर की मौत पर सफाई दी है. कंपनी अपनी वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल कर रही है.कंपनी ने कहा कि वालंटियर (Vaccine volunteer) को वैक्सीन ट्रायल की सभी नियम और शर्तों के बारे में सारी जानकारी दी गई है. वैक्सीन देने के अगले 7 दिनों तक उसका हालचाल लिया गया और किसी भी प्रकार के प्रतिकूल लक्षण उसमें नहीं पाए गए.
भारत बायोटेक के मुताबिक, एनरोलमेंट के समय वालंटियर ने फेज 3 ट्रायल के सभी मानकों को पूरा किया था. डोज़ दिए जाने के 7 दिन बाद तक साइट पर ही देखरेख में वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया था. कोई प्रतिकूल घटना न देखी गई और न ही रिपोर्ट हुई. भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के द्वारा जारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से भोपाल पुलिस के मुताबिक मौत का संभावित कारण कार्डियॉरेस्पिरेट्री फेलियर हो सकता है, जो कि हो सकता है ज़हर के चलते हुआ हो. पुलिस मामले की जांच कर रही है. डोज दिए जाने के 9 दिन बाद वालंटियर की मौत हुई. परीक्षण केंद्र से मिल रही शुरुआती समीक्षा इस बात की ओर इशारा करती है कि मौत और वैक्सीन डोज़ का संबंध नहीं है. भारत बायोटेक ने कहा कि कंपनी यह नहीं बता सकती कि वालंटियर को वैक्सीन दी गई थी या प्लेसिबो. क्योंकि स्टडी का अभी खुलासा नहीं हुआ है.
गौरतलब है कि भारत बायोटेक आईसीएमआर के सहयोग से स्वदेशी टीके कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल कर रही है. इस बीच सरकार ने बैकअप के तौर पर कोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. भारत में 16 जनवरी से कोरोना के टीकाकरण का कार्यक्रम शुरू होना है. इसमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में बनाए गए टीके कोविशील्ड का इस्तेमाल होना है.
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