बेंगलुरु में अपनी मां के साथ शालिनी
बेंगलुरु:
17 साल की शालिनी ने अपने कॉलेज, मां-बाप और मोहल्ले का नाम रोशन किया है। उसने कर्नाटक बोर्ड ऑफ़ प्री एजुकेशन की 12वीं की विज्ञान स्ट्रीम की परीक्षा में 84.8 अंक उसने हासिल किए हैं और वह इंजीनियर बनना चाहती है।
आर्थिक तंगी और बुनियादी सुविधाओं के अभावों की वजह से दिनभर काम करने के बाद घर की सीढ़ी उसके लिए कुर्सी टेबल का काम करती थी, जहां वह घंटों बैठकर पढ़ाई करती थी।
शालिनी ने बताया कि वह सुबह तक़रीबन चार, साढ़े चार बजे उठती है। फिर वह पांच घरों में काम करती है, जिसमें घरों के बाहर रंगोली बनाने से लेकर पानी भरना और साफ़-सफाई शामिल है। इसके बाद वह एक दफ्तर में साफ़-सफाई करती है और फिर तक़रीबन 9 बजे के आसपास घर वापस लौट आती है।
घर पर अपना काम पूरा कर पढ़ाई करती है और फिर 1 बजे से दो और घरों में काम करने जाती है। वहां से लौटने के बाद पढ़ाई और कॉलेज की क्लासेज, जो कभी सुबह तो कभी शाम को होती है।
उसके पिता मज़दूरी करते थे। बिल्डिंग से गिर गए और अब चल फिर नहीं सकते। उसकी मां भी घरों में काम करती है।
इम्तिहान से पहले पता चला कि उसके छोटे भाई को कैंसर है और इसी वजह से उसे काफी वक़्त अस्पताल में बिताना पड़ा। शालिनी का मानना है कि अगर ऐसा न होता तो वह और अच्छे अंक ला पाती।
इसका शालिनी को ज़्यादा मलाल नहीं है। अब उसकी तमन्ना इंजीनियर बनने की है।
आर्थिक तंगी और बुनियादी सुविधाओं के अभावों की वजह से दिनभर काम करने के बाद घर की सीढ़ी उसके लिए कुर्सी टेबल का काम करती थी, जहां वह घंटों बैठकर पढ़ाई करती थी।
शालिनी ने बताया कि वह सुबह तक़रीबन चार, साढ़े चार बजे उठती है। फिर वह पांच घरों में काम करती है, जिसमें घरों के बाहर रंगोली बनाने से लेकर पानी भरना और साफ़-सफाई शामिल है। इसके बाद वह एक दफ्तर में साफ़-सफाई करती है और फिर तक़रीबन 9 बजे के आसपास घर वापस लौट आती है।
घर पर अपना काम पूरा कर पढ़ाई करती है और फिर 1 बजे से दो और घरों में काम करने जाती है। वहां से लौटने के बाद पढ़ाई और कॉलेज की क्लासेज, जो कभी सुबह तो कभी शाम को होती है।
उसके पिता मज़दूरी करते थे। बिल्डिंग से गिर गए और अब चल फिर नहीं सकते। उसकी मां भी घरों में काम करती है।
इम्तिहान से पहले पता चला कि उसके छोटे भाई को कैंसर है और इसी वजह से उसे काफी वक़्त अस्पताल में बिताना पड़ा। शालिनी का मानना है कि अगर ऐसा न होता तो वह और अच्छे अंक ला पाती।
इसका शालिनी को ज़्यादा मलाल नहीं है। अब उसकी तमन्ना इंजीनियर बनने की है।
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