कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए पर कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मैं इस फैसले के विरोध में नहीं हूं. इसके कई फायदे हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसको लेकर संसद द्वारा अचानक लिए गए फैसले से हैरान हूं. इसका अलग-अलग स्तरों पर प्रभाव होगा, मेरी पूरी स्थिति पर नजर है. सिंह ने कहा कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने का मैं स्वागत करता हूं. 1965 में मैंने खुद भी राज्य के पुनर्गठन की बात कही थी. नए परिसीमन के बाद पहली बार जम्मू कश्मीर रीजन में राजनीतिक शक्ति का सही से बंटवारा होगा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, राजनीतिक संवाद की शुरुआत होना चाहिए. यह गलत है कि दो क्षेत्रीय पार्टियों को राष्ट्र विरोधी बताकर दरकिनार कर दिया गया. उनके कार्यकर्ताओं ने भी बलिदान दिया है. ये समय-समय पर राष्ट्रीय पार्टियों और केंद्र और राज्य में बनी सरकार में भागीदार रहे हैं. मैं गुजारिश करता हूं कि इन दोनों पार्टियों के नेताओं को जल्दी से जल्दी रिहा किया जाए और उनके साथ राजनीतिक संवाद हो. किसी भी कीमत पर इलाके में सांप्रदायिक सदभाव बरकरार रहना चाहिए.
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वहीं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाए जाने से जुड़े सरकार के कदम को लेकर कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस ने नौ अगस्त को अपने महासचिवों-प्रभारियों, प्रदेश अध्यक्षों, राज्यों में विधायक दल के नेताओं, पार्टी के विभाग प्रमुखों और सांसदों की बैठक बुलाई है. बैठक में इस विषय पर चर्चा की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को पत्र लिखकर बैठक की जानकारी दी है. यह बैठक नौ अगस्त की शाम 15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित पार्टी के वाररूम में प्रस्तावित है.
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पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति ने भी जम्मू-कश्मीर के विषय पर बैठक की थी जिसमें एक प्रस्ताव पारित कर सरकार के कदम को एकतरफा और अलोकतांत्रिक करार देते हुए यह कहा गया कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पीओके तथा चीन के अधीन भूभाग भी भारत के अभिन्न अंग हैं. सीडब्ल्यूसी ने कहा कि वह राज्य के लोगों के साथ खड़ी रहेगी और भाजपा के 'विभाजनकारी एजेंडे' के खिलाफ लड़ेगी.
कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक उस वक्त बुलाई है जब पार्टी के कई नेता अनुच्छेद 370 पर सरकार के कदम का खुलकर समर्थन कर चुके हैं. इसमें नया और प्रमुख नाम वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का है. सिंधिया ने सरकार के कदम का समर्थन करते हुए मंगलवार को कहा कि यह राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है. वैसे, सिंधिया से पहले दीपेंद्र हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, अनिल शास्त्री, रंजीत रंजन और अदिति सिंह सहित पार्टी के कई नेता जम्मू-कश्मीर पर उठाए गए नरेंद्र मोदी सरकार के कदम का समर्थन कर चुके हैं.
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दूसरी तरफ, कांग्रेस का आधिकारिक रुख इस कदम के विरोध में है. उसका आरोप है कि सरकार ने संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है. पार्टी ने संसद में विधेयक का विरोध किया है.
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