सशस्त्र बलों ने बाढ़ प्रभावित जम्मू कश्मीर में आज बचाव प्रयास तेज कर दिया। सेना ने यहां अभी तक 12,500 लोगों को जलमग्न क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है, जबकि वायुसेना ने बचाव एवं राहत कार्य में और विमान एवं हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं तथा इस संकट से निबटने के लिए आपदा निगरानी केंद्र खोला है।
मौसम में सुधार आने से बचाव एवं राहत कार्य में तेजी आई है। वायुसेना ने राहत कार्य में 29 विमान एवं हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। इस बाढ़ में अब तक करीब 150 लोगों के मर जाने की आशंका है।
सेना की उत्तरी कमान के जनसंपर्क अधिकारी कर्नल एस डी गोस्वामी ने कहा, 'वायुसेना कमान ने उभरती हुई स्थिति में मदद में हाथ बंटाने के लिए अपने सभी हवाईअड्डों को बिल्कुल तैयार रहने को कहा है ।' उन्होंने बताया कि पश्चिम वायु कमान मुख्यालय ने श्रीनगर, उधमपुर, जम्मू और सारसवा समेत अपने सभी हवाई अड्डों के प्रयासों के बीच तालमेल कायम करने के लिए आपदा निगरानी इकाई भी खोली है।
रिपोर्ट है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से अबतक 850 लोग हवाई मार्ग से निकाले गए हैं। उनमें से 401 कल निकाले गए।
वहीं जम्मू वायुसेना स्टेशन के एयर ऑफिसर कमांडिंग एयर कमोडोर पी ई पतांगे ने कहा, 'मौसम में सुधार के बाद बचाव एवं राहत अभियान तेज किया गया है। बाढ़ में फंसे सभी लोगों को बाहर निकाले जाने तक यह जारी रहेगा।' उन्होंने कहा कि प्राथमिकता प्रभावित लोगों के लिए हेलीकॉप्टरों से राशन एवं दवाइयां गिराने के साथ ही उनकी जान बचाना है।
गोस्वामी ने बताया कि सेना ने बचाव कार्य के लिए सैनिकों की तैनाती और बढ़ा दी है। सेना के इंजीनियरों की 13 टीमों के अलावा सैनिकों की कुल 184 टुकड़ियां (एक टुकड़ी में करीब 75 से 100 सैनिक) कश्मीर एवं जम्मू में तैनात की गयी हैं। जलमग्न क्षेत्रों से 12,500 से अधिक लोग निकाले गए हैं।
उनके मुताबिक राज्य के विभिन्न क्षेत्रों खासकर कश्मीर घाटी में सेना की ओर से 3000 नागरिकों को दवाइयां, 2000 को आसरा और 3500 को भोजन उपलब्ध कराया गया हैं। चूंकि बेआसरा लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में सेना ऐसे सैकड़ों लोगों को टेंट उपलब्ध करा रही है। बड़ा राहत अभियान दो सितंबर को शुरू हुआ था।
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