- भारत इस साल सितंबर तक मिग 21 लड़ाकू विमानों को पूरी तरह से सक्रिय सेवा से रिटायर कर रहा है
- अमेरिकी कंपनी बोइंग ने भारतीय थलसेना को पहले तीन AH-64E अपाचे कॉम्बैट हेलीकॉप्टर सौंपे हैं
- अपाचे हेलीकॉप्टर रडार प्रणाली से लैस है जो एक साथ कई लक्ष्यों का पता लगाने और हमला करने में सक्षम है
रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर इज़रायल-ईरान युद्ध तक और फिर भारत के ऑपरेशन सिंदूर से भी ये साबित हो चुका है कि भविष्य के युद्ध वही देश जीतेगा जो हथियारों की टैक्नोलॉजी में सबसे आगे होगा. भविष्य के युद्ध टैक्नोलॉजी के भरोसे ही जीते जा सकते हैं लेकिन टैक्नोलॉजी बड़ी तेजी से बदलती है. यही वजह है कि हर सेना पुरानी टैक्नोलॉजी को पीछे छोड़ नई टैक्नोलॉजी की ओर बढ़ रही है. भारतीय रक्षा नीति के तहत ये दो तस्वीरें भी इसी बात की तस्दीक कर रही हैं. एक ओर बासठ साल पुराने मिग 21 लड़ाकू विमानों को भारत इस साल सितंबर तक एक्टिव सर्विस से पूरी तरह रिटायर कर रहा है तो दूसरी ओर दुनिया के सबसे घातक कॉम्बैट हेलीकॉप्टर अपाचे को वायुसेना के बाद अब थलसेना के बेड़े में भी शामिल कर लिया गया है. मिग 21 ने 1965 से लेकर आज तक कई युद्धों में बड़ी भूमिका निभाई है लेकिन लड़ाकू विमानों की दुनिया अब पूरी तरह बदल चुकी है लिहाजा उसे रिटायर करने के अलावा कोई चारा नहीं है. वहीं अपाचे जैसे मल्टी रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर भारतीय सेनाओं की आक्रमण क्षमता को नई धार देने के लिए तैयार हैं.
अमेरिका की एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने सेना को पहले तीन अपाचे हेलीकॉप्टर सौंप दिए हैं. गाजियाबाद में एयरफोर्स स्टेशन हिंडन में ये हेलीकॉप्टर भारतीय थलसेना के तरकश में शामिल हुए. 2017 में हथियारों से लैस ऐसे छह अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टरों की ख़रीद का सौदा 4,168 करोड़ रुपए में हुआ था. इसके तहत तीन अपाचे आ चुके हैं और तीन इस साल के अंत तक आ जाएंगे. दुनिया के इन सबसे आधुनिक मल्टी रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों के आने से भारतीय सेना की ऑपरेशनल क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी. इससे पहले 2015 में भारतीय वायुसेना ने अमेरिकी सरकार और बोइंग के साथ 22 E-model अपाचे हेलीकॉप्टरों की खरीद का सौदा किया था और 2020 में बोइंग ने भारतीय वायुसेना को इन अपाचे हेलीकॉप्टरों की डिलिवरी पूरी कर दी थी. पठानकोट और जोरहाट में तैनात दो स्क्वॉड्रन्स में इन्हें शामिल किया गया है.
अपाचे हेलीकॉप्टर की कई ऐसी ख़ासियत हैं जिनकी वजह से दुनिया की हर वायुसेना इसे अपने बेड़े में शामिल करना चाहती है. इसकी सबसे बड़ी खूबी है AN/APG-78 Longbow radar system जो इसके रोटर के ठीक ऊपर लगा है. ये मिलीमीटर वेव रडार ज़मीन पर एक साथ 128 निशानों पर नज़र रख सकता है और एक साथ 16 निशानों को हमले के लिए चुन सकता है. ये रडार इस तरह से लगा है कि अपाचे दुश्मन की नज़रों से दूर रहते हुए भी अपने लक्ष्यों को स्कैन कर निशाने चुन सकता है और फिर अचानक हमला कर दुश्मन को हैसान कर सकता है.
- ये रडार advanced infrared sensors, हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले और नाइट विज़न सिस्टम के साथ पेयर्ड है जो अपाचे हेलीकॉप्टर को रात के वक़्त अचानक हमला करने के लिए सबसे घातक बनाते हैं.
- अपाचे में लगे घातक हथियारों में 30 mm M230 चेन गन है.
- इसके अलावा 70 mm Hydra रॉकेट हैं
- AGM-114 Hellfire मिसाइल हैं जो छह किलोमीटर की दूरी से ही बख़्तरबंद गाड़ियों और टैंकों को निशाना बना सकते हैं.
- हवाई ख़तरों से निपटने के लिए एयर टू एयर स्टिंगर मिसाइलों से भी ये लैस है.
- भारतीय सेना को मिले AH-64E अपाचे ड्रोन्स से लाइव सेंसर फीड हासिल करने की भी क्षमता रखता है. अपाचे की ये तमाम ख़ूबियां इसे ख़तरे का पहले ही पता करने, समय रहते हमला करने और लक्ष्य के डेटा को रियल टाइम में शेयर करने में माहिर बनाती हैं.
ये हेलीकॉप्टर ऐसे समय भारतीय सेना में शामिल हो रहा है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की पश्चिमी सीमा पर ख़तरा बना हुआ है. लेकिन पाकिस्तान की सीमा पर अपाचे की मौजूदगी समीकरणों को बदल देगी. तो अपाचे की सेवाएं अभी शुरू ही हुई हैं लेकिन हमें उस मिग 21 फाइटर जेट को नहीं भूलना चाहिए जो लंबे समय तक भारतीय वायुसेना की ताक़त बना रहा. और इस साल सितंबर में पूरी तरह एक्टिव सर्विस से रिटायर हो जाएगा. भारतीय सरहदों की रक्षा करने में मिग 21 का भी बड़ा योगदान रहा है.
- रूस में बने लड़ाकू विमान मिग 21 को 1963 में ट्रायल के तौर पर वायुसेना में शामिल किया गया.
- मिग 21 का सबसे नया संस्करण था बाइसन जिसमें अपग्रेडेड इलेक्ट्रॉनिक्स, नेवीगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम थे. लेकिन वो भी सितंबर में रिटायर हो जाएंगे.
- मिग 21 ने 1965, 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के करगिल युद्ध, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाई.
- बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान भारत के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने मिग 21 बाइसन लड़ाकू विमान से ही पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया था हालांकि उनका मिग 21 भी क्रैश हो गया था.
- अपनी बड़ी विरासत के बावजूद मिग 21 को फ़्लाइंग कॉफ़िन कहा जाने लगा क्योंकि इसके क्रैश होने की घटनाएं बहुत ज़्यादा हुईं.
- विमानन के इतिहास में मिग 21 का एक रिकॉर्ड ये है कि इसका सबसे ज़्यादा निर्माण हुआ और एक दौर में चार महाद्वीपों में दुनिया के साठ देशों के पास ये लड़ाकू विमान रहा.
- भारतीय वायुसेना के पास एक दौर में 900 मिग 21 लड़ाकू विमान थे जिनमें से 660 रूस के सहयोग से भारत में ही बनाए गए. लेकिन अब 36 मिग 21 ही वायुसेना के पास बचे हैं. बाकी रिटायर हो चुके हैं.
- उनकी जगह लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट Tejas Mk1A फाइटर जेट लेंगे जो पूरी तरह भारत में तैयार किए गए हैं.
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