नई दिल्ली:
दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हो रही राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक से तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता नाराज होकर चली गईं। जयललिता ने आरोप लगाया कि उन्हें बोलने के लिए पूरा वक्त नहीं दिया गया और इस तरह उनका अपमान हुआ है।
जयललिता ने कहा कि वह बमुश्किल अपने भाषण का एक-तिहाई हिस्सा ही बोल पाई थीं कि घंटी बजा दी गई। यह अपमानजनक है, इसलिए विरोध स्वरूप वह बैठक से वॉकआउट कर गईं। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचार तक रखने नहीं दिए जा रहे हैं और केंद्र सरकार मुख्यमंत्रियों की आवाज दबा रही है।
उधर, केंद्र ने जयललिता के इस आरोप को गलत बताया कि राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में गैर-कांग्रेस शासित राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उसने कहा कि किसी नेता को इस आयोजन का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
संसदीय मामलों के राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा, प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के तुरंत बाद जयललिता को पहले भाषण देने का अवसर देकर सकारात्मक भावना का परिचय दिया, जबकि क्रम के अनुसार उनकी बारी काफी बाद में आनी थी। हर मुख्यमंत्री को 10 मिनट का समय दिया गया था।
मुख्यमंत्रियों के भाषणों की समय सीमा तय किए जाने को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि वक्ताओं की संख्या बहुत अधिक होने के कारण ऐसा करना पड़ा। बैठक में 35 मुख्यमंत्रियों, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वित्तमंत्री और कृषि मंत्री के भाषण होने हैं। शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए भी यह समय सीमा तय की गई। इसमें किसी राज्य के मुख्यमंत्री के साथ भेदभाव नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के भाषण के दौरान भी 10 मिनट पूरा होने पर घंटी बजाकर उन्हें रोका गया। तो भेदभाव कहां हुआ? नेताओं को इस अवसर का राजनीति लाभ नहीं उठाना चाहिए।
(इनपुट भाषा से भी)
जयललिता ने कहा कि वह बमुश्किल अपने भाषण का एक-तिहाई हिस्सा ही बोल पाई थीं कि घंटी बजा दी गई। यह अपमानजनक है, इसलिए विरोध स्वरूप वह बैठक से वॉकआउट कर गईं। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचार तक रखने नहीं दिए जा रहे हैं और केंद्र सरकार मुख्यमंत्रियों की आवाज दबा रही है।
उधर, केंद्र ने जयललिता के इस आरोप को गलत बताया कि राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में गैर-कांग्रेस शासित राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उसने कहा कि किसी नेता को इस आयोजन का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
संसदीय मामलों के राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा, प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के तुरंत बाद जयललिता को पहले भाषण देने का अवसर देकर सकारात्मक भावना का परिचय दिया, जबकि क्रम के अनुसार उनकी बारी काफी बाद में आनी थी। हर मुख्यमंत्री को 10 मिनट का समय दिया गया था।
मुख्यमंत्रियों के भाषणों की समय सीमा तय किए जाने को सही बताते हुए उन्होंने कहा कि वक्ताओं की संख्या बहुत अधिक होने के कारण ऐसा करना पड़ा। बैठक में 35 मुख्यमंत्रियों, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वित्तमंत्री और कृषि मंत्री के भाषण होने हैं। शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए भी यह समय सीमा तय की गई। इसमें किसी राज्य के मुख्यमंत्री के साथ भेदभाव नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के भाषण के दौरान भी 10 मिनट पूरा होने पर घंटी बजाकर उन्हें रोका गया। तो भेदभाव कहां हुआ? नेताओं को इस अवसर का राजनीति लाभ नहीं उठाना चाहिए।
(इनपुट भाषा से भी)
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