आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रस्ताव को रोकने के कुछ दिनों बाद फ्रांस ने जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की वकालत की है. फ्रांस का कहना है कि इस तरह की पहल के ‘पक्ष में काफी मजबूत तर्क’ हैं.
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां मार्क अयराल्ट ने चीन का नाम लिए बगैर कहा, ‘आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता हर जगह एक जैसी होनी चाहिए.’ वह चार दिनों के भारत दौरे पर आए थे. उन्होंने कहा कि अजहर के संगठन जैश ए मोहम्मद को ‘आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया जा चुका है, इसलिए भारत के आग्रह के मुताबिक इसके प्रमुख को सूची में शामिल करने को लेकर मजबूत तर्क हैं.’
उन्होंने कहा कि इसलिए फ्रांस ने न केवल समर्थन दिया बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत के आग्रह को लेकर आवाज भी उठाई. भारत ने पिछले वर्ष फरवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की 15 सदस्यीय 1267 मंजूरी समिति में अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. उसे पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले का सरगना होने के लिए यह मांग की गई थी. इसके बाद से चीन ने दो बार भारत के प्रस्ताव को ‘तकनीकी तौर पर स्थगित’ करा दिया और अंतत: पिछले वर्ष 30 दिसम्बर को इस पर रोक लगवा दिया.
अयराल्ट ने कहा, ‘हमारे संयुक्त प्रयास के बावजूद हमें इसका अफसोस है और समिति के समर्थन होते ही हम आम सहमति तक नहीं पहुंच सके.’ अयराल्ट ने कहा कि फ्रांस अब भारत के साथ चर्चा करेगा कि क्या किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘भारत जानता है कि उसे हमारा समर्थन है.’
पाकिस्तान के बहावलपुर के रहने वाले अजहर को भारत ने दिसम्बर 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी 814 के अपहरण में 166 बंधकों को मुक्त कराने के बदले रिहा किया था. उस वक्त अजहर हरकत उल मुजाहिद्दीन का सदस्य था और रिहा किए जाने के तुरंत बाद उसने पाकिस्तान में नया संगठन जैश ए मोहम्मद बना लिया था जिसने 13 दिसम्बर 2001 और पठानकोट वायुसेना अड्डे सहित भारत में कई हमलों को अंजाम दिया. फ्रांस के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह एलईटी, जेईएम और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ की वकालत की.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां मार्क अयराल्ट ने चीन का नाम लिए बगैर कहा, ‘आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता हर जगह एक जैसी होनी चाहिए.’ वह चार दिनों के भारत दौरे पर आए थे. उन्होंने कहा कि अजहर के संगठन जैश ए मोहम्मद को ‘आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया जा चुका है, इसलिए भारत के आग्रह के मुताबिक इसके प्रमुख को सूची में शामिल करने को लेकर मजबूत तर्क हैं.’
उन्होंने कहा कि इसलिए फ्रांस ने न केवल समर्थन दिया बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत के आग्रह को लेकर आवाज भी उठाई. भारत ने पिछले वर्ष फरवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की 15 सदस्यीय 1267 मंजूरी समिति में अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था. उसे पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले का सरगना होने के लिए यह मांग की गई थी. इसके बाद से चीन ने दो बार भारत के प्रस्ताव को ‘तकनीकी तौर पर स्थगित’ करा दिया और अंतत: पिछले वर्ष 30 दिसम्बर को इस पर रोक लगवा दिया.
अयराल्ट ने कहा, ‘हमारे संयुक्त प्रयास के बावजूद हमें इसका अफसोस है और समिति के समर्थन होते ही हम आम सहमति तक नहीं पहुंच सके.’ अयराल्ट ने कहा कि फ्रांस अब भारत के साथ चर्चा करेगा कि क्या किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘भारत जानता है कि उसे हमारा समर्थन है.’
पाकिस्तान के बहावलपुर के रहने वाले अजहर को भारत ने दिसम्बर 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी 814 के अपहरण में 166 बंधकों को मुक्त कराने के बदले रिहा किया था. उस वक्त अजहर हरकत उल मुजाहिद्दीन का सदस्य था और रिहा किए जाने के तुरंत बाद उसने पाकिस्तान में नया संगठन जैश ए मोहम्मद बना लिया था जिसने 13 दिसम्बर 2001 और पठानकोट वायुसेना अड्डे सहित भारत में कई हमलों को अंजाम दिया. फ्रांस के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह एलईटी, जेईएम और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ की वकालत की.
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