
सरकार ने शुक्रवार को संसद में जानकारी देते हुए कहा कि 2020 से अब तक 96000 से अधिक वाहनों को 'अडॉप्टेड व्हीकल' के रूप में रजिस्टर किया गया है, जो खासकर दिव्यांगों के लिए डिजाइन किए गए हैं. अडॉप्टेड व्हीकल ऐसे मोटर वाहन को कहा जाता है, जिसे शारीरिक रूप से अपंग (आंशिक दिव्यांग), दिव्यांग के इस्तेमाल के लिए डिजाइन और बनाया जाता है. इसके अलावा किसी वाहन में दिव्यांग व्यक्ति के इस्तेमाल के लिए इस तरह की सुविधा का मौजूद होना भी वाहन को 'अडॉप्टेड व्हीकल' की कैटेगरी में लाता है.
इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, "1 जनवरी, 2020 से 19 मार्च, 2025 की अवधि के दौरान कुल 96,265 वाहन 'अडॉप्टेड व्हीकल' के रूप में पंजीकृत किए गए." केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम के सेक्शन 52, 1989 नियम 47ए, नियम 47बी और केंद्रीय मोटर वाहन नियम के नियम 112 में वाहन में ऑल्टरेशन या रेट्रो फिटमेंट और परिवर्तन के अनुमोदन से जुड़े प्रावधान हैं.
ऑर्थोपेडिक फिजिकल डिसेबिलिटी या 40 प्रतिशत से ज्यादा की डिसेबिलिटी वाले दिव्यांग जीएसटी की रियायती दर पर भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) से प्रमाण पत्र के साथ अडॉप्टेड कार खरीद सकते हैं. मंत्रालय के अनुसार, रियायत केवल 4000 मिमी से अधिक लंबाई वाले मोटर वाहनों के लिए ही प्राप्त की जा सकती है. पेट्रोल, एलपीजी या सीएनजी से चलने वाले वाहनों की इंजन क्षमता 1200 सीसी से अधिक नहीं होनी चाहिए और डीजल से चलने वाले वाहनों की इंजन क्षमता 1500 सीसी से अधिक नहीं होनी चाहिए.
वर्मा ने कहा कि एमएचआई द्वारा जारी प्रमाण पत्र और रियायती जीएसटी के आधार पर बेचे जाने वाले सभी वाहनों को मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार "अडॉप्टेड व्हीकल" के रूप में रजिस्टर्ड किया जाएगा. केंद्र सरकार दिव्यांगों को मोटर से चलने वाली तिपहिया साइकिल, व्हीलचेयर, प्रॉस्थीसिस और ऑर्थोसिस, चलने की छड़ें, सुलभ स्मार्टफोन, स्मार्ट केन, कम दृष्टि सहायता और श्रवण सहायता जैसे सहायक उपकरण खरीदने/लगाने में सहायक योजनाओं को सपोर्ट करती है.
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