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This Article is From Jan 16, 2014

'आप' के बागी विधायक विनोद बिन्नी ने अपनी पार्टी और केजरीवाल पर जमकर साधा निशाना

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के बागी विधायक विनोद बिन्नी ने अपनी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है और दिल्ली की जनता के साथ धोखा हो रहा है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर तानाशाह जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल की कांग्रेस से नजदीकी है और वह सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि बिजली और पानी के मुद्दे पर पार्टी ने अपने घोषणापत्र में जो बात कही थी, उस पर अमल करने में चतुराई बरती जा रही है। पानी का पूरा बिल माफ करने की बात थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बिजली बिल आधा करने पर भी दिल्ली सरकार ने अपना रुख बदल लिया।

बिन्नी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं - अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, कुमार विश्वास और मनीष सिसौदिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये सभी बचपन के दोस्त हैं और ये लोग मिलकर देश में ड्रामा रच रहे हैं। पार्टी छोड़ने के सवाल पर बिन्नी ने कहा कि यह पार्टी किसी व्यक्ति विशेष की पार्टी नहीं है, इसलिए मैं पार्टी नहीं छोडूंगा। हालांकि उन्होंने कहा कि मेरे लगाए गए आरोप अगर गलत साबित हुए तो, मैं अपना पद छोड़ दूंगा। बिन्नी ने कहा कि अगर केजरीवाल दिल्ली की जनता के साथ किए गए चुनावी वादों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि 'आम आदमी पार्टी' का गठन विधायक या सांसद बनाने के लिए नहीं किया गया, लेकिन सत्ता में आने पर उसके वादे बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी रायशुमारी में ज्यादा यकीन करती है, इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि दिल्ली की जनता से बिजली और पानी के मुद्दे पर भी सरकार रायशुमारी कराए।

जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर बिन्नी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि सरकार बनने के 14 दिनों के भीतर यह बिल पास करा लिया जाएगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है, इसलिए उन्हें अपनी मंशा साफ करनी चाहिए। उन्होंने कहा, मुझे किसी पद  की लालसा नहीं है।

उन्होंने केजरीवाल पर तानाशाही व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में फैसले चार-पांच लोग बंद कमरे में करते हैं और अरविंद केजरीवाल उन्हें आदेश देते हैं। बिन्नी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल कांग्रेस सासंद संदीप दीक्षित के करीबी हैं और केजरीवाल कांग्रेस के आदेशों को मानते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि टिकटों के बंटवारे में भी भ्रष्टाचार किया गया और लोकसभा के टिकट पहले से तय हैं।

बिन्नी ने कहा, हमने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि हम न तो किसी राजनीतिक दल का समर्थन लेंगे और न ही देंगे। तब ऐसा क्या हुआ कि पार्टी को फैसला बदलना पड़ा। मुद्दे पर बंद दरवाजे के पीछे चर्चा चल रही थी। उन्होंने घोषणा की कि यदि पार्टी 27 जनवरी तक अपने वादों को पूरा करने में विफल रहती है, तो वह भूख हड़ताल करेंगे।

अपनी सरकार और पार्टी की निंदा करने को 'सच के लिए लड़ाई' करार देते हुए बिन्नी ने कहा कि 'आप' की स्थापना सत्ता हासिल करने या किसी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, पार्टी ने कई मुद्दों पर दिल्ली के लोगों को गुमराह किया है। पार्टी द्वारा किए गए वादों और सरकार द्वारा की जा रही चीजों में काफी अंतर है।

विधायक ने दिल्ली सरकार के उन मंत्रियों की भी खिंचाई की, जिन्होंने 'बड़ी कारें' ली हैं और जिन पर 'फैंसी नंबर' प्लेट लगी हैं। उन्होंने कहा कि यह पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ है। बिन्नी ने यह कहकर केजरीवाल पर भी निशाना साधा कि लोगों की आलोचना के चलते मुख्यमंत्री को विवशता में आलीशान फ्लैट छोड़ना पड़ा। बागी तेवर अख्तियार करने वाले विधायक ने कहा, यदि लोगों की तरफ से विरोध नहीं हुआ होता, तो वह (मुख्यमंत्री) निश्चित तौर पर फ्लैट में चले गए होते।

बिन्नी ने बुधवार से बागी तेवर अपना रखे हैं। उनका कहना है कि पार्टी मुद्दों से भटक गई है और सरकार उन वादों को पूरा करने की दिशा में काम नहीं कर रही है, जिनके दम पर जीतकर वह सत्ता में पहुंची है। वहीं पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बिन्नी पहले दिल्ली सरकार में मंत्री का पद पाना चाहते थे और इसके बाद उन्होंने लोकसभा के टिकट की मांग की और टिकट न मिलने पर वह पार्टी से नाराज हो गए।

हालांकि जब बिन्नी से इस पर सफाई मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं और उन्होंने कभी किसी पद की लालसा नहीं की है। आम आदमी पार्टी के अंदर के मतभेद के सामने आते ही मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने जमकर हमला बोला, वहीं कांग्रेस ने इसे पार्टी का आंतरिक मामला बताया है।

ऐसा नहीं है कि बिन्नी पहली बार आम आदमी पार्टी के लिए सिरदर्द बने हैं। इससे पहले वह केजरीवाल कैबिनेट में मंत्री पद न मिलने की वजह से नाराज हो गए थे। हालांकि उस समय केजरीवाल ने बिन्नी के नाराज होने की खबरों का खंडन किया था और पार्टी के आला नेताओं की कोशिशों के बाद बिन्नी को मना लिया गया था।

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