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This Article is From Jan 01, 2016

जम्मू-कश्मीर में 'दो निशान' को लेकर कोर्ट के फैसले से मचा राजनीतिक बवाल

जम्मू-कश्मीर में 'दो निशान' को लेकर कोर्ट के फैसले से मचा राजनीतिक बवाल
जम्मू: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की बड़ी बेंच ने हाईकोर्ट के उस आदेश को निलंबित कर दिया है जिसके तहत कोर्ट ने आदेश दिया था कि सरकार संपत्तियों पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ राज्य का ध्वज होना जरूरी है।

27 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर की हाईकोर्ट की एक बेंच ने आदेश पारित कर कहा था कि राज्य की सभी सरकारी संपत्तियों यानी सरकारी वाहन और कार्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज के साथ राज्य के ध्वज का प्रयोग किया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के पहले के आदेश को बीजेपी ने चुनौती दी थी। बीजेपी फिलहाल राज्य में सत्ताधारी पार्टी है। पीडीपी के साथ मिलकर बीजेपी साझा सरकार चला रही है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में चुनाव में जीत के बाद शपथग्रहण समारोह में शिरकत की थी जहां पर दोनों ध्वजों का प्रयोग किया गया था।
 


गौरतलब है कि देश में जम्मू-कश्मीर एक मात्र राज्य है जिसे राष्ट्रीय ध्वज के साथ अपना निजी झंडा रखने और प्रयोग में लाने की इजाजत है।

जिस जज ने इस प्रकार का आदेश दिया था का कहना है कि उनका आदेश संविधान के अनुच्छेद 370 पर आधारित था। इस अनुच्छेद के तहत राज्य को विशेष अधिकार प्राप्त हैं जिसके तहत वह कुछ बातों को छोड़कर अपना कानून बनाने के लिए स्वतंत्र है। जज ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य के ध्वज का वैसा ही सम्मान और स्तर है जैसा की राष्ट्रीय ध्वज का है। इसलिए यह जरूरी है कि राष्ट्रीय ध्वज के समान इसकी पवित्रता और सम्मान को हर कीमत पर बरकरार रखा जाए।

राज्य का संविधान यह कहता है कि राष्ट्रीय ध्वज के साथ राज्य का ध्वज भी लगाया जाना चाहिए। मार्च में ही सरकार ने यह आदेश दिया था कि दोनों ध्वजों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इस आदेश के बाद सत्ताधारी दलों में मतभेद पैदा हो गए थे। बीजेपी के विरोध के बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया था। इस समय यह कहा गया था कि जब संविधान में इसकी इजाजत है तब ऐसे आदेश को जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

झंडा घटनाक्रम से राज्य में एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यह कहते हुए मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद पर निशाना साधा था कि यदि वह अपनी सहयोगी भाजपा की ‘कुटिल’ साजिश से राज्य की मर्यादा और झंडे को बचा नहीं सकते तो उन्हें अपने पद से हट जाना चाहिए तथा कोई ऐसा ढूंढना चाहिए जो इसका बचाव कर सके।
 
राज्य में मुफ्ती की पार्टी पीडीपी की सहयोगी भाजपा का रुख ‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ का रहा है। सत्तारूढ़ पीडीपी ने कहा कि राज्य के झंडे का राष्ट्रीय ध्वज से कोई टकराव नहीं है और राज्य में दोनों को सम्मान दिया जाएगा।

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