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This Article is From Aug 19, 2017

JDU से बगावत करने वाले शरद यादव के राजनीतिक सफर पर एक नजर

JDU के पूर्व अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया है. आईये डालते हैं उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर.....

JDU से बगावत करने वाले शरद यादव के राजनीतिक सफर पर एक नजर
शरद यादव की फाइल फोटो.
नई दिल्ली: बिहार की राजधानी में पटना में जहां सीएम और JDU अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है, वहीं बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद से बगावत के रास्ते चल पड़े शरद यादव ने बागी नेताओं के साथ मिलकर जन अदालत नाम से अलग से सम्मेलन बुलाया है. पटना में बागी नेताओं ने पटना में कुछ पोस्टर लगाए हैं, जिनमें लिखा है, 'जन अदालत का फैसला....महागठबंधन जारी है.' इन पोस्टरों पर शरद यादव, जदयू के राज्यसभा सदस्य अली अनवर और पूर्व मंत्री रमई राम की तस्वीरें हैं. ऐसी खबरें हैं कि पार्टी में दो फाड़ होने पर शरद यादव गुट JDU के चुनाव चिन्ह पर भी दावा ठोक सकता है. छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव बिहार की राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है. JDU के पूर्व अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया है. आईये डालते हैं उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर.....
  1.  शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक किसान परिवार के यहां हुआ था. पढ़ाई के दिनों से ही शरद की रुचि राजनीति में थी. शुरुआती शिक्षा के बाद उन्होंने 1971 में इंजीनियरिंग करने के लिए जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. इसी कॉलेज में वह छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.
  2. शरद यादव ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर कई राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया और MISA के तहत 1969-70, 1972, और 1975 में हिरासत में लिए गए. उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाने में भी अहम भूमिका निभाई. 
  3. 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से शरद यादव पहली बार सांसद चुने गए. यह जेपी आंदोलन का समय था. इसके बाद 1977 में भी शरद यादव यहां से जीते. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के बदायूं से चुनाव जीता. 
  4. इसके बाद शरद यादव ने बिहार का रुख किया. उन्होंने बिहार के मधेपुरा में 1991, 1996, 1999 और 2009 में जीत दर्ज की. इसके अलावा भी उन्होंने 3 बार अलग-अलग लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. शरद यादव को मधेपुरा सीट पर 1998 और 2004 में लालू यादव ने हराया, जबकि एक बार वह राजद के किसी अन्य नेता से हार गए. 
  5. 1995 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया. इसके बाद वह 1997 में जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें. 13 अक्तूबर 1999 से 31 अगस्त 2001 तक वह नागरिक उड्डयन मंत्री रहे. इसके बाद 1 सितंबर 2001 से 30 जून 2002 तक शरद यादव श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री चुने गए. 2004 में वह एक फिर राज्यसभा सांसद चुने गए और गृह मंत्रालय समते कई कमेटियों के सदस्य बने. शरद यादव फिलहाल JDU के टिकट से राज्यसभा सांसद हैं. 

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