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This Article is From Nov 23, 2014

भारत में आतंकी गतिविधियों में 70 फीसदी इज़ाफ़ा : वैश्विक सूचकांक

भारत में आतंकी गतिविधियों में 70 फीसदी इज़ाफ़ा : वैश्विक सूचकांक
नई दिल्ली:

भारत में वर्ष 2012-2013 के दौरान आतंकी गतिविधियों में 70 फीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है और ऐसी गतिविधियों में मरने वालों की संख्या भी बढ़ कर 404 हो गई। इनमें से ज्यादातर के पीछे नक्सलियों का हाथ है। वर्ष 2011-2012 में यह संख्या 238 थी।

‘‘इन्स्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’’ (आईईपी) द्वारा तैयार ग्लोबल टेरेरिज्म इंडेक्स 2014 के अनुसार, हमलों की संख्या भी बढ़ी है और वर्ष 2012 की तुलना में वर्ष 2013 में 55 घटनाएं ज्यादा हुईं।

इसमें कहा गया है ‘‘वर्ष 2012-2013 में भारत में आतंकवाद में 70 फीसदी वृद्धि हुई जिनमें मरने वालों का आंकड़ा 238 से बढ़ कर 404 हो गया।’’ बहरहाल, भारत में ज्यादातर आतंकी हमलों में हताहत होने वालों की संख्या कम रही। वर्ष 2013 में करीब 70 फीसदी हमले गैर घातक (नॉन लेथल) थे। हमले 43 आतंकवादी गुटों ने किए जिन्हें तीन श्रेणियों.. इस्लामिस्ट, अलगाववादी और साम्यवादी.. में बांटा जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘साम्यवादी आतंकी समूह (नक्सली) आए दिन षड्यंत्र करने वालों में शामिल हैं और भारत में मौत के मामलों में मुख्य रूप से उनका हाथ हैं। वर्ष 2013 में तीन माओवादी समूहों ने 192 लोगों की मौत की जिम्मेदारी ली और यह संख्या भारत में आतंकवाद के कारण हुई कुल मौतों की करीब आधी है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘माओवादियों का सबसे बड़ा निशाना पुलिस होती है और उनके हमलों में हताहत होने वालों में करीब आधे तो पुलिसकर्मी हैं। उनके सशस्त्र हमलों में 85 लोग तथा बम हमलों और विस्फोट में 43 लोग मारे गए हैं।’’ अपहरण माओवादियों की एक आम तिकड़म है जो अक्सर सरकार को बंदियों की रिहाई के लिए बाध्य करने के उद्देश्य से अपनाई जाती है।

आईईपी का कार्यालय सिडनी, न्यूयार्क और ऑक्सफोर्ड में है तथा दुनिया भर में इसके अंतरराष्ट्रीय भागीदार हैं। यह विभिन्न अंतरसरकारी संगठनों के साथ मिल कर काम करता है।

इसका कहना है कि आमतौर पर जम्मू कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ विवाद इस्लामी आतंकवाद का स्रोत है। वर्ष 2013 में 15 फीसदी मौतों के लिए तीन इस्लामिक गुट जिम्मेदार थे। इनमें पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन भी शामिल है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सितंबर में अलकायदा ने भारत में इस उम्मीद में अपनी उपस्थिति की घोषणा की कि वह अन्य इस्लामी गुटों को एकजुट करेगा।

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