भोपाल:
करोड़ों रुपये के मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के 30 से अधिक आरोपियों की अब तक मृत्यु हो चुकी है, जिसमें राज्यपाल रामनरेश यादव के आरोपी पुत्र शैलेष यादव की लखनऊ में गत 25 मार्च को कथित संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु भी शामिल है।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं घोटाले की जांच कर रहे विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के अन्वेषण पर उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के अध्यक्ष चंद्रेश भूषण ने कहा, ‘‘व्यापमं प्रकरण के 30 से अधिक आरोपियों की अब तक मृत्यु हो चुकी है।’’
उन्होंने कहा कि प्रकरण के अन्वेषण की प्रगति को लेकर समय-समय पर निगरानी के दौरान एसआईटी को एसटीएफ से इन आरोपियों की मृत्यु के बारे में पता चला है। न्यायाधीश भूषण के करीबी सूत्रों के अनुसार उन्होंने एसटीएफ से इन मौतों के सबूत और कारण बताने को कहा है।
तीन सदस्यीय एसआईटी के एक सदस्य ने कहा कि घोटाले के कितने आरोपियों की अब तक मौत हो चुकी है, इसके अधिकृत आंकड़े उनके पास नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी यह भी नहीं कह सकता हूं कि इनकी मृत्यु आरोपी बनाए जाने से पहले अथवा बाद में हुई है।’’
उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना भी है कि इनमें से कई आरोपियों की मृत्यु गिरफ्तारी के भय से हुई हो, क्योंकि घोटाले में अब तक जितने आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं अथवा जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है, किसी को अब तक जमानत का लाभ नहीं मिला है।
गौरतलब है कि राज्यपाल के तत्कालीन विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) एवं व्यापमं भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपी ओ पी यादव न्यायिक अभिरक्षा में एक साल से अधिक समय से जेल में हैं और तत्कालीन तकनीकी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप में एक साल से जेल में हैं। व्यापमं घोटाले में नाम उछलने और फिर राज्य के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक से 'क्लीन चिट' मिलने के बाद केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने तब संवाददाताओं से बात करते समय इस घोटाले को बिहार के चारा घोटाले से भी बड़ा बताया था।
घोटाले की गंभीरता इससे ही नजर आती है कि जांच के दौरान एसटीएफ अब तक दो हजार से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है और अब भी 650 से अधिक आरोपी वांछित हैं।
प्रदेश के गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा, 'हां, व्यापमं मामले में अब तक 2,000 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।' कांग्रेस महासचिव एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व्यापमं घोटाले को लेकर लंबे समय से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें खुद मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी शामिल हैं, इसलिए मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
यह भी उल्लेखनीय है कि व्यापमं द्वारा आयोजित 2008 से 2013 के बीच पीएमटी, प्री-पीजी मेडिकल पाठ्क्रम प्रवेश परीक्षा 2012, संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा 2011, सूबेदार एवं प्लाटून कमाण्डर भर्ती परीक्षा 2012, पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012, वन रक्षक भर्ती परीक्षा 2013, डाटा एंट्री ऑपरेटर भर्ती परीक्षा 2012 एवं यातायात पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में हुई गड़बड़ियों की वजह से राज्य सरकार की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई है।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं घोटाले की जांच कर रहे विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के अन्वेषण पर उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के अध्यक्ष चंद्रेश भूषण ने कहा, ‘‘व्यापमं प्रकरण के 30 से अधिक आरोपियों की अब तक मृत्यु हो चुकी है।’’
उन्होंने कहा कि प्रकरण के अन्वेषण की प्रगति को लेकर समय-समय पर निगरानी के दौरान एसआईटी को एसटीएफ से इन आरोपियों की मृत्यु के बारे में पता चला है। न्यायाधीश भूषण के करीबी सूत्रों के अनुसार उन्होंने एसटीएफ से इन मौतों के सबूत और कारण बताने को कहा है।
तीन सदस्यीय एसआईटी के एक सदस्य ने कहा कि घोटाले के कितने आरोपियों की अब तक मौत हो चुकी है, इसके अधिकृत आंकड़े उनके पास नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी यह भी नहीं कह सकता हूं कि इनकी मृत्यु आरोपी बनाए जाने से पहले अथवा बाद में हुई है।’’
उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना भी है कि इनमें से कई आरोपियों की मृत्यु गिरफ्तारी के भय से हुई हो, क्योंकि घोटाले में अब तक जितने आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं अथवा जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है, किसी को अब तक जमानत का लाभ नहीं मिला है।
गौरतलब है कि राज्यपाल के तत्कालीन विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) एवं व्यापमं भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपी ओ पी यादव न्यायिक अभिरक्षा में एक साल से अधिक समय से जेल में हैं और तत्कालीन तकनीकी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा भी संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप में एक साल से जेल में हैं। व्यापमं घोटाले में नाम उछलने और फिर राज्य के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक से 'क्लीन चिट' मिलने के बाद केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने तब संवाददाताओं से बात करते समय इस घोटाले को बिहार के चारा घोटाले से भी बड़ा बताया था।
घोटाले की गंभीरता इससे ही नजर आती है कि जांच के दौरान एसटीएफ अब तक दो हजार से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है और अब भी 650 से अधिक आरोपी वांछित हैं।
प्रदेश के गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा, 'हां, व्यापमं मामले में अब तक 2,000 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।' कांग्रेस महासचिव एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व्यापमं घोटाले को लेकर लंबे समय से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें खुद मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी शामिल हैं, इसलिए मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
यह भी उल्लेखनीय है कि व्यापमं द्वारा आयोजित 2008 से 2013 के बीच पीएमटी, प्री-पीजी मेडिकल पाठ्क्रम प्रवेश परीक्षा 2012, संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा 2011, सूबेदार एवं प्लाटून कमाण्डर भर्ती परीक्षा 2012, पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012, वन रक्षक भर्ती परीक्षा 2013, डाटा एंट्री ऑपरेटर भर्ती परीक्षा 2012 एवं यातायात पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में हुई गड़बड़ियों की वजह से राज्य सरकार की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई है।
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