यह ख़बर 07 सितंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

जुबिन मेहता के कंसर्ट से कश्मीर हुआ मंत्रमुग्ध

खास बातें

  • विश्व प्रसिद्ध ऑर्केस्ट्रा संचालक जुबिन मेहता ने शाम को डल झील के तट पर स्थित शालीमार बाग में कुछ सर्वाधिक लोकप्रिय और पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत की सर्वश्रेष्ठ भावपूर्ण धुनों को जब जबरवान हिल्स की शानदार पृष्ठभूमि में छेड़ा तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
श्रीनगर:

विश्व प्रसिद्ध ऑर्केस्ट्रा संचालक जुबिन मेहता ने शाम को डल झील के तट पर स्थित शालीमार बाग में कुछ सर्वाधिक लोकप्रिय और पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत की सर्वश्रेष्ठ भावपूर्ण धुनों को जब जबरवान हिल्स की शानदार पृष्ठभूमि में छेड़ा तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

मेहता और उनके बावरियन स्टेट ऑर्केस्ट्रा ने शानदार चिनारों से युक्त 400 साल पुराने मुगल गार्डन में लुडविग वान बीथोवेन, फ्रांज जोसफ हेडन और प्योत्र इलिइच त्चाइकोवस्की की कृतियों को 2000 से अधिक आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष पेश किया।

पारंपरिक कश्मीरी वाद्य यंत्रों को लिए अभय सोपोरी की मंडली के साथ संगत में आर्केस्ट्रा का नेतृत्व करके मेहता ने कंसर्ट की शुरूआत की। 105 मिनट तक चले इस कंसर्ट का समापन कश्मीरी लोक धुनों और पश्चिमी शास्त्रीय संगीत से तालियों की गड़गड़ाहट के बीच हुआ।

‘एहसास-ए-कश्मीर’ नाम के कंसर्ट ने अलगाववादियों और समाज के विरोध के मद्देनजर राजनैतिक रंग ले लिया। अलगाववादियों और समाज ने इसे कश्मीर में शांति की तस्वीर पेश किए जाने के प्रयास के तौर पर लिया, जहां हाल के दशकों में इतना रक्तपात देखा गया है।

कंसर्ट के खिलाफ हुर्रियत कान्फ्रेंस के चरमपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के बंद के आह्वान के मद्देनजर शहर का ज्यादातर हिस्सा बंद रहा।

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कड़े सुरक्षा इंतजाम करते हुए अधिकारियों ने कसंर्ट स्थल को जाने वाले डल झील से लगे प्रसिद्ध बाउलेवर्ड मार्ग को सुबह एहतियातन बंद कर दिया।