याकूब मेमन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
याकूब मेमन की दया याचिका खारिज करने वाले जस्टिस दीपक मिश्रा की सुरक्षा को गुमनाम धमकीभरा खत आने के बाद बढ़ा दिया गया है। उन्हें दिल्ली पुलिस के कमांडो दिए गए हैं और उनके घर और काफिले को जेड प्लस जैसी सुरक्षा मुहैया कराई गई है। इस मामले में दिल्ली के तुगलकरोड थाने में केस दर्ज किया गया है।
वैसे, 30 जुलाई को याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के साथ ही जस्टिस दीपक मिश्रा और इस फैसले में साथ रहे उनके दो साथियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। ऐसा उनकी जान को होने वाले संभावित खतरे को देखकर किया गया।
जस्टिस मिश्रा समेत बाकी तीन जजों ने याकूब मेमन की फांसी रोकने की अपील याचिका को ठुकराते हुए आधी रात को चली सुनवाई में उनकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा था।
जस्टिस मिश्रा, अमिताभ रॉय और प्रफुल्ल पंत ने रात 3 बजे से लेकर सुबह पांच बजे इस मुद्दे पर सोच-विचार कर अपील को ठुकराने का फैसला सुनाया था।
इन जजों ने अपने फैसले में कहा कि मेमन के पास अपनी फांसी की सज़ा को रुकवाने का पर्याप्त समय और मौका दिया गया था और उन्होंने उनकी दी जाने वाली भी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लिया था।
मेमन को साल 2007 में, 1993 में हुए मुंबई हमले का मुख़्य दोषी करार दिया है। मुंबई हमले में 257 लोगों की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में याकूब के भाई द्वारा फाइल की गई अपील याचिका को खारिज करते हुए उसकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा था।
वैसे, 30 जुलाई को याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के साथ ही जस्टिस दीपक मिश्रा और इस फैसले में साथ रहे उनके दो साथियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। ऐसा उनकी जान को होने वाले संभावित खतरे को देखकर किया गया।
जस्टिस मिश्रा समेत बाकी तीन जजों ने याकूब मेमन की फांसी रोकने की अपील याचिका को ठुकराते हुए आधी रात को चली सुनवाई में उनकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा था।
जस्टिस मिश्रा, अमिताभ रॉय और प्रफुल्ल पंत ने रात 3 बजे से लेकर सुबह पांच बजे इस मुद्दे पर सोच-विचार कर अपील को ठुकराने का फैसला सुनाया था।
इन जजों ने अपने फैसले में कहा कि मेमन के पास अपनी फांसी की सज़ा को रुकवाने का पर्याप्त समय और मौका दिया गया था और उन्होंने उनकी दी जाने वाली भी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लिया था।
मेमन को साल 2007 में, 1993 में हुए मुंबई हमले का मुख़्य दोषी करार दिया है। मुंबई हमले में 257 लोगों की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में याकूब के भाई द्वारा फाइल की गई अपील याचिका को खारिज करते हुए उसकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा था।
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