विज्ञापन
This Article is From Jun 05, 2017

World Environment Day: हम गैजेट्स के करीब और प्रकृति से दूर हो गए हैं - विशेषज्ञ

सामाजिक मनोवैज्ञानिक हरीश शेट्टी ने प्रकृति से लोगों के सीमित जुड़ाव को लेकर कहा, वैश्वीकरण ने हमें मशीन और गैजेट के करीब पहुंचाया है. लेकिन प्रकृति से दूर कर दिया है.

World Environment Day: हम गैजेट्स के करीब और प्रकृति से दूर हो गए हैं - विशेषज्ञ
गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है
  • अक्सर सुनते हैं अप्रैल में इतनी गर्मी कभी नहीं रही
  • पहले अक्टूबर में ठंड दस्तक दे देती थी
  • अब चार महीने ठंड रहती है
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली: दिल्ली में रहने वाले पुराने लोगों को अप्रैल को सबसे क्रूर बताने वाले टीएस इलियट के शब्दों को प्राय: याद करते हैं. हमने पेंशन प्राप्त करने वाले लोगों को यह कहते सुना है, अप्रैल के महीने में कभी इतनी गर्मी नहीं रही. ऐसा वक्त भी था जब अक्तूबर के खत्म-खत्म होते ठंड दस्तक दे देती थी, हालांकि अब जून की गर्मी को देखते हुए पुराने लोगों से पूछा जाए तो वे कहेंगे, अब चार महीने ठंड रहती है और आठ महीने गर्मी. दूसरी ओर विशेषज्ञों की राय में युवा पीढ़ी के लिए मौसम कोई मुद्दा प्रतीत नहीं हो रहा है. विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर इंवायर्नमेंटलिस्ट फाउंडेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक अरुण कृष्णमूर्ति ने कहा कि डिजिटल युग के कारण लोगों और पर्यावरण में बहुत अधिक दूरी पैदा हो गई है.

उन्होंने कहा, डिजिटल युग में संरक्षण भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और पोस्टर तक सीमित रह गया है. लोग लगभग यह भूल चुके हैं कि वास्तविक समय और परिणाम केंद्रित संरक्षण कार्य का क्या मतलब होता है. कृष्णमूर्ति ने कहा कि पर्यावरण के लिए अधिक काम किए जाने की जरूरत है.

सामाजिक मनोवैज्ञानिक हरीश शेट्टी ने प्रकृति से लोगों के सीमित जुड़ाव को लेकर कमोबेश इसी प्रकार की राय जाहिर की. उन्होंने कहा, वैश्वीकरण ने हमें मशीन और गैजेट के करीब पहुंचाया है. लेकिन प्रकृति से दूर कर दिया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com