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This Article is From Dec 19, 2012

महिला उत्पीड़न : 4 दिसंबर को क्यों सोई हुई थीं पार्टियां?

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दिल्ली गैंगरेप के बाद सबको महिला उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानून बनाने की याद आ रही है। जबकि इसी सत्र में 4 दिसंबर को जब लोकसभा में क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट बिल पेश किया गया तो किसी की उस पर नज़र भी नहीं पड़ी।
नई दिल्ली: दिल्ली गैंगरेप के बाद सबको महिला उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानून बनाने की याद आ रही है। जबकि इसी सत्र में 4 दिसंबर को जब लोकसभा में क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट बिल पेश किया गया तो किसी की उस पर नज़र भी नहीं पड़ी। अब सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ये बयान दे रहे हैं कि रेप और महिलाओं के खिलाफ होने वाले दूसरे अपराध के खिलाफ तैयार इस बिल को जल्दी पास कराकर नया कानून बनना चाहिए।

बुधवार को भी संसद में दिल्ली के सामूहिक बलात्कार का गुस्सा दिखा। एनडीए से जुड़ी महिला सांसदों ने लोकसभा में इस पर बहस की मांग की। इधर, बीजेपी ने कहा कि वह फौजदारी कानून संशोधन बिल 2012 में संशोधन पेश करेगी और बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा की मांग करेगी।

एनडीटीवी से बातचीत में बीजेपी नेता वैंकेया नायडू ने कहा कि मौजूदा कानून रेप के मामलों को रोकने में नाकाम रहा है और दोषियों को और सख्त सज़ा देना ज़रूरी हो गया है।

वैसे इसी सत्र में लोकसभा में पेश किए गए इस बिल में यौन अपराधों की सज़ा और कड़ी करने की बात है। अगर ये बिल पास हुआ तो यौन हमलों के लिए कम से कम 7 साल की सज़ा होगी।

अगर यौन हमले के लिए कोई पुलिस या सरकारी अफ़सर या अपनी हैसियत का इस्तेमाल कर रहा कोई मैनेजर या अधिकारी ज़िम्मेदार पाया जाता है तो उसे कम से कम दस साल की बामशक्कत क़ैद से लेकर उम्रक़ैद तक हो सकती है।

गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि सरकार इस बिल को पास कराने के लिए हर संभव पहल करेगी। हालांकि कांग्रेस का मानना है कि बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा ठीक नहीं। पार्टी की प्रवक्ता रेणुका चौधरी मानती हैं कि फांसी से बेहतर विकल्प हैं और उनपर गंभीरता से विचार होना चाहिए।

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