शादी के दिन से ही एक अंतरजातीय विवाह में खटास आ गई, लेकिन दिल्ली की एक अदालत ने खुद को अजीब स्थिति में पाते हुए तलाक देने या दोनों पक्षों के बीच कोई समझौता कराने में मदद करने में अपनी अक्षमता जाहिर की।
अदालत ने अपने-आपको अजीबोगरीब स्थिति में पाया क्योंकि महिला ने तलाक के लिए अपनी याचिका में कहा कि व्यक्ति के साथ शादी करना एक ‘भूल’ थी। दूसरी ओर व्यक्ति ने शिकायत की थी कि उसके पुलिसकर्मी ससुर ने अलग जाति के कारण शादी तोड़ने के लिए दस्तावेज पर हस्ताक्षर के लिए मजबूर किया।
प्रिंसपल जज गिरिश कठपालिया की अध्यक्षता वाले परिवार न्यायालय ने कहा कि जाति अंतर के आधार पर विवाह का किसी तरह का विरोध ‘कानून का उल्लंघन’ है। अदालत ने दंपति को साथ रहने के लिए मनाने की नाकाम कोशिश भी की।
पत्नी ने दावा किया था कि शादी के पंजीकरण के तुरंत बाद उसे अहसास हुआ कि उसने गलत जगह शादी कर ली है और उसके बाद वह ससुराल में एक भी दिन नहीं रही।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों को मैंने समझाने के पूरे प्रयास किए कि अंतर जातीय विवाहों का विरोध करने की प्रवृत्ति छोड़ने की जरूरत है ,लेकिन मैं शादी को बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को सहमत नहीं कर सका।’’
उच्चतम न्यायालय में तैनात दिल्ली पुलिस के सहायक सब इंस्पेक्टर और महिला के पिता ने अपने दामाद को धमकाए जाने के आरोप से इनकार किया।
याचिका को वापस लिया हुए मानकर उसे खारिज घोषित करते हुए अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस को सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यक्ति या उसकी मां को परेशान नहीं किया जाए।
दोनों ने अपने-अपने परिवारवालों की इच्छा के विरुद्ध जनवरी 2014 में शादी की थी क्योंकि महिला के पिता अलग जाति के होने के कारण उन दोनों की शादी के खिलाफ थे।
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