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This Article is From Jan 12, 2016

...तो इस वजह से नीतीश की पार्टी 'तीर' की जगह नया चुनाव चिह्न चाहती है

...तो इस वजह से नीतीश की पार्टी 'तीर' की जगह नया चुनाव चिह्न चाहती है
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के बाद अपना विस्तार राज्य से बाहर करने की योजना में जुटी हुई है। इसके तहत पार्टी जल्द ही नया चुनाव चिह्न हासिल कर सकती है।

पार्टी के वर्तमान चुनाव चिह्न 'तीर' से मतदाताओं के बीच 'भ्रम' की स्थिति को देखते हुए पार्टी ने मकर संक्रांति के बाद किसी दिन चुनाव आयोग से मिलने और इसके जगह पर अपने पसंदीदा चिह्नों की एक सूची सौंपने की योजना बनाई है। जेडीयू का 'तीर' चुनाव चिह्न झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना के तीर और धनुष से भी मेल खाता है। पार्टी का यह भी मानना रहा है कि शिवसेना और जेएमएम के साथ इसके चिह्न के मेल खाने के कारण इस विधानसभा चुनाव में जेडीयू को अच्छा-खासा वोट गंवाना पड़ा, जिसके कारण बिहार में इसे कुछ सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

मकर संक्रांति गुरुवार को है और इसलिए इस पर आगे की बात अगले सप्ताह होने की उम्मीद है। जेडीयू के सूत्रों ने बताया कि पांच राज्यों - असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल और केरल में निर्धारित विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नया चुनाव चिह्न चाहती है। यहां पर एनडीए को हराने करने के लिए बिहार में बनाए गए 'महागठबंधन' की तर्ज पर इसके एक हिस्से के रूप में चुनाव लड़ने की योजना है। उन्होंने बताया कि पार्टी तीन चिह्नों - पेड़, हल चलाता किसान और झोपड़ी में से एक चुनाव चिह्न चाहती है।

बरगद का पेड़ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जबकि झोपड़ी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का चुनाव चिह्न था। हल चलाने वाले किसान का चिह्न लोकदल का था। ये सभी किसी न किसी समय में एक बड़े जनता परिवार का हिस्सा रहे हैं।

पुरानी पार्टी जनता दल का चुनाव चिन्ह 'चक्र' पाने के प्रति उत्सुकता व्यक्त करने के बाद जेडीयू ने जनता दल (सेक्यूलर) के समर्थन की संभावना नहीं होने के कारण इसकी उम्मीद छोड़ दी है। बिहार चुनाव के तत्काल बाद जेडीयू के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव चिह्न पर चर्चा करने के लिए बिहार चुनाव आयोग से मुलाकात की थी। 'चक्र' चिह्न के उनकी मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आयोग ने उनसे कहा था कि यह चिह्न उन्हें तभी दिया जा सकता है, जब जनता दल (सेक्यूलर) को इस पर आपत्ति नहीं हो।

पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मकर संक्रांति के बाद पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग से मुलाकात करेगा। जेडीयू को उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक उसे नया चिह्न मिल जाएगा।

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