कोलकाता में सीबीआई के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का धरना तीसरे दिन भी जारी है. पार्टी और विपक्ष के नेता उनसे मिलने के लिए पहुंच रहे हैं और दूसरी ओर से बीजेपी भी लगातार हमले कर रही है. कुल मिलाकर ममता ने लोकसभा चुनाव से पहले एजेंडे को अपने इर्द-गिर्द केंद्रित करने की कोशिश में कामयाब दिख रही हैं. दरअसल बंगाल में जिस तरह से बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है और ममता के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बनाने की कोशिश कर रही है, उसके बाद से बंगाल के सीएम को साफ लग गया था कि बीजेपी को पीछे धकेलने और खुद को बड़ा नेता साबित करने के लिए उन्हें मैदान में उतरना होगा न कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए. सीबीआई के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के आवास पर पहुंचने के बाद शुरू हुए ड्रामे के बाद ममता बनर्जी भी वहां पहुंच गईं और राजीव कुमार को एक तरह से संरक्षण देने का किया.
पीएम मोदी के सामने खुद को खड़ा करने के लिए ममता बनर्जी ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाए. सबसे पहले उन्होंने बंगाल में टोल प्लाजा में सेना तैनात करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार का जमकर विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार विपक्ष के नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. इसके बाद आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर भी वह राज्य के सीएम चंद्रबाबू नायडू के साथ खड़ी दिखाई दीं. अगर हम बात करें साल 2014 के लोकसभा चुनाव की तो उस समय भी उन्होंने कहा कि वह नरेंद्र मोदी के हाथ बांधकर जेल भेज देंगी केवल वह ही बीजेपी का सामना करने का माद्दा रखती हैं.
बंगाल में लोकसभा चुनाव से पहले एजेंडे को एक तरह से उन्होंने खुद पर केंद्रित कर दिया है. यही रणनीति पीएम मोदी भी अपनाते रहे हैं. फिलहाल ममता बनर्जी को इसमें कितनी कामयाबी मिलेगी यह आज होने वाली सुप्रीम कोर्ट और कोलकाता हाईकोर्ट की सुनवाई पर निर्भर करेगा. सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है तो दूसरी ओर राजीव कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई की पूछताछ में राहत पाने की गुहार लगाई है.
धरने पर ममता, सड़क से सरकार
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