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This Article is From Feb 19, 2015

बीजेपी क्यों कर रही है मांझी का समर्थन?

Akhilesh Sharma, Rajeev Mishra
  • India,
  • Updated:
    फ़रवरी 19, 2015 13:17 pm IST
    • Published On फ़रवरी 19, 2015 11:56 am IST
    • Last Updated On फ़रवरी 19, 2015 13:17 pm IST

जीतन राम मांझी को समर्थन देने के बारे में बीजेपी आलाकमान के फैसले में बदलाव पार्टी के विधायकों के मूड को देखते हुए आया। सूत्रों के मुताबिक कल रात पार्टी नेता सुशील कुमार मोदी के घर विधायक दल की रात्रिभोज पर हुई बैठक में विधायकों से मिली प्रतिक्रिया ने पार्टी आलाकमान को चौंका दिया। वहीं, जीतन राम मांझी ने आज सुबह कहा कि उन्होंने विधायकों से समर्थन मांगा है पार्टी से नहीं।

बिहार बीजेपी में अधिकांश विधायकों की राय थी कि बीजेपी को विश्वासमत के दौरान मांझी के पक्ष में वोट देना चाहिए न कि वॉक आउट करना चाहिए जैसा पार्टी आलाकमान सोच रहा है। बीजेपी विधायकों ने एक सुर में कहा कि वो अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों से वापस आ रहे हैं। हर जगह महादलितों में नीतीश कुमार के प्रति रोष है। वो इस बात से नाराज हैं कि नीतीश एक महादलित नेता जीतन राम मांझी का अपमान कर रहे हैं। विधायकों के मुताबिक ये पूछा जा रहा है कि अगर मांझी को इस तरह अपमानित करके हटाना था तो फिर उन्हें नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनाया ही क्यों?

ये वही महादलित हैं जिन्होंने पिछले लोक सभा चुनाव में एक सिरे से नीतीश कुमार का समर्थन किया था। बीजेपी के कई नेता कहते हुए मिल जाएंगे कि कई मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारों और घंटों इंतजार करने के बाद महादलित समुदाय ने जनता दल यूनाइटेड के पक्ष में एक तरफा मतदान किया था।
 

बीजेपी के रणनीतिकार इस विश्लेषण को सही नहीं मानते कि मांझी को समर्थन देने से बीजेपी का ऊंची जाति का समर्थक वोट उससे छिटक जाएगा। वो पूछते हैं कि आखिर मांझी ने पिछले नौ महीनों में ऐसा क्या कर दिया जो ऊंची जातियों के खिलाफ जाता हो। उनके एक-दो बयान जरूर ऊंची जातियों के खिलाफ गए हैं, मगर सिर्फ बयानों की बुनियाद पर मांझी का विरोध करने में कोई तुक नहीं है। उनका ये भी कहना है कि ऐसे में जब नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद के साथ गठबंधन कर लिया है, ऊंची जातियां किसी भी हालत में नीतीश के साथ नहीं जा सकतीं। ऊंची जातियों, गैर यादव-कुर्मी पिछड़े वर्ग और महादलितों को साथ लेकर बीजेपी लालू-नीतीश के मुस्लिम-यादव-कुर्मी वोट को मात दे सकती है।

इसीलिए बीजेपी ये जानते हुए भी कि वो अपना बहुमत साबित नहीं कर सकेंगे, मांझी को समर्थन दे रही है। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद चुनाव में छह महीने बचेंगे। बीजेपी मांझी को अपने साथ रखेगी लेकिन उन्हें पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा। मांझी पप्पू यादव और कुछ दूसरे नेताओं के साथ अपनी पार्टी बना सकते हैं। बीजेपी इस पार्टी से चुनावी तालमेल कर सकती है। बीजेपी चाहेगी कि इन छह महीनों में मांझी हर विधानसभा सीट पर जाएं और वहां जा कर बताएं कि किस तरह से नीतीश कुमार ने एक महादलित का अपमान किया है।

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