कौन हैं पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी?

58 वर्षीय चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे, वे वर्तमान में राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री हैं

कौन हैं पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी से साथ चरणजीत सिंह चन्नी (फाइल फोटो).

चंडीगढ़:

कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को पंजाब (Punjab) का मुख्यमंत्री (Chief Minister) नियुक्त किया गया है. पार्टी ने आज विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections) से कुछ महीने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पार्टी के विधायकों की बैठक की और उसके बाद चन्नी के नाम की घोषणा की. 58 वर्षीय चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे. वे शीर्ष पद के लिए चुने जाने से पहले राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री थे. वह चमकौर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार से विधायक हैं.

पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट किया, "मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि चरणजीत सिंह चन्नी को सर्वसम्मति से पंजाब कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया है."

इससे पहले चन्नी 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता थे. उन्हें मार्च 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री बनाया गया था.

चरणजीत सिंह चन्नी को अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने का निर्णय कांग्रेस विधायक दल की JW Marriott में हुई बैठक में लिया गया. बैठक को लेकर दोपहर बाद से हलचल तेज हो गई थी. जेडब्लू मेरियट में चरणजीत सिंह चन्नी और परगट सिंह समेत कांग्रेस के विधायक और नेता दोपगर पश्चात पहुंच गए थे. वहां हरीश रावत और अजय माकन पहले से मौजूद थे. 

सूत्रों के मुताबिक बैठक में सुखजिंदर रंधावा के नाम को लेकर आम राय बनाने की कवायद की जा रही है. लेकिन कुछ विधायक रंधावा का विरोध कर रहे थे. इसी बीच सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधायक दल की मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर बैठक टाल दी गई है, लेकिन कुछ ही देर पश्चात बैठक में लिया गया फैसला सामने आ गया और चन्नी को पंजाब कांग्रेस विधायक दल का नेता और राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुन लिया गया. 

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चन्नी की नियुक्ति की खबर तब आई जब कुछ ही घंटे पहले सूत्रों ने पुष्टि की कि निवर्तमान मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को शीर्ष पद दिया जाएगा. हालांकि रंधावा के नाम पर कथित तौर पर पार्टी के कुछ विधायक सहमत नहीं थे. कांग्रेस आलाकमान यह सुनिश्चित करना चाहता था कि नए मुख्यमंत्री को अधिकतम आंतरिक समर्थन मिले, शायद इसलिए जल्द ही नया नाम तय कर लिया गया.