पेटकोक-फर्नेस ऑयल पर बैन हरियाणा, राजस्‍थान और यूपी में भी है लागू : सुप्रीम कोर्ट

पेटकोक और फर्नेस ऑयल पर बैन का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति स्‍पष्‍ट की है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि बैन का आदेश केवल एनसीआर तक नही बल्कि हरियाणा, राजस्‍थान और उत्‍तर प्रदेश में पूरी तरह इसके इस्‍तेमाल पर पूरी तरह रोक को लेकर था.

पेटकोक-फर्नेस ऑयल पर बैन हरियाणा, राजस्‍थान और यूपी में भी है लागू : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पेटकोक-फर्नेस ऑयल पर बैन का मामले में स्थिति स्‍पष्‍ट की है (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंधन के बारे में स्थिति स्‍पष्‍ट की
  • कहा, एनसीआर ही नहीं, इन तीन राज्‍यों में भी है रोक
  • इस बारे में फैक्ट्रियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्‍ली:

पेटकोक और फर्नेस ऑयल पर बैन का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति स्‍पष्‍ट की है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि बैन का आदेश केवल एनसीआर तक नही बल्कि हरियाणा, राजस्‍थान और उत्‍तर प्रदेश में पूरी तरह इसके इस्‍तेमाल पर पूरी तरह रोक को लेकर था.इसका मतलब ये है कि अब हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की फैक्ट्रियों में पेटकोक और फर्नेस ऑयल का इस्तेमाल नहीं होगा. दरअसल मामले की सुनवाई के दौरान फैक्ट्रियों की तरफ से पूछा गया था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश केवल एनसीआर तक है या पूरे राज्य में, क्योंकि इप्का केवल एनसीआर के लिए कह रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट्रियों की याचिका पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा.

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फैक्ट्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर पेटकोक व फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल पर लगी रोक पर राहत की मांग की है. एनसीआर की फैक्ट्रियों ने कहा है कि पेटकोक व फर्रनेस ऑयल की जगह किसी दूसरे ईंधन के इस्तेमाल के लिए थोड़ा वक्त चाहिए. NCR में पेटकोक और फर्नेस ऑयल पर बैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस क्षेत्र की फैक्ट्रियों की अर्जी पर केंद्र सरकार, और एप्का को नोटिस जारी कर 13 नवंबर तक जवाब मांगा था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को फैक्ट्रियों में पेटकोक व फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा था. कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि अगर सरकारें फेल हुई तो एक नवंबर से ये बैन लागू होगा.


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फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण के लिए मानक तय करने के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया था. वही पिछली सुनवाई में  केंद्र सरकार के रवैए पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी थी, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MOEF) पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. कोर्ट ने मंत्रालय को कहा था कि हर चीज में देरी करते हैं, अब जरूरत है जागने की. दरअसल NCR में फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं को लेकर मानक तैयार करने को लेकर CPCB ने इसी साल जून में मंत्रालय को ड्राफ्ट भेजा था लेकिन मंत्रालय ने इसे नोटिफाई करने के लिए चार महीने का वक्त ले लिया और 23 अक्तूबर को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन अपलोड किया गया. दरअसल पेटकोक और फर्नेस  आयल दिल्ली में बैन हैं लेकिन NCR में इन पर रोक नहीं है.  इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि अभी तक फाइनल नोटिफिकेशन क्यों नहीं जारी किया.


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