
मनमोहन सिंह की सरकार में पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे (फाइल फोटो)
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कहा-1978 में किया गया ऐसा प्रयोग रहा था नाकाम
काले धन के खिलाफ उपाय के तहत पीएम ने की है यह घोषणा
पुराने नोट बैंकों और डाकघरों में जमा किए जा सकेंगे
मोदी सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नए नोट लाने पर 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि इससे पहले वर्ष 1978 में भी मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार के समय 1000 का नोट वापस लेने का फैसला किया गया था जो कि नाकाम रहा था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम संबोधन में काले धन पर प्रभावी अंकुश लगाने के कदम के तहत 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी.
पीएम ने कहा था कि भ्रष्टाचार, कालाधन, जाली नोट, आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई होनी चाहिए. कौन ऐसा नागरिक है जो भ्रष्टाचार को स्वीकार कर सकेगा और जिसे भ्रष्टाचार के कारण तकलीफ नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि मौजूदा इन पुराने नोटों को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगले 50 दिनों तक इन नोटों को बैंकों और डाकघरों में जमा कराया जा सकता है. इस संबंध में 10 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर तक 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बैंकों और डाकघरों में जमा कराए जा सकते हैं.
उन्होंने कहा था कि 500 रुपये और 1000 रुपये वाले नोट का हिस्सा 80 से 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है. देश में कैश के अधिकतम सर्कुलेशन का सीधा संबंध भ्रष्टाचार से है. भ्रष्टाचार से अर्जित नगदी के कारण महंगाई पर असर पड़ता है. इसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग प्रभावित होते हैं. इसके कारण मूल्य में कृत्रिम वृद्धि होती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार से अर्जित धन या कालाधन, से बेनामी हवाला धन को बढ़ावा मिलता है. हम सब जानते हैं कि हवाला धन का इस्तेमाल आतंकी हथियारों की खरीद के लिए करते हैं, इसके साथ ही हवाला धन का चुनाव में भी इस्तेमाल पाया गया है.
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