Kolkata:
ममता बनर्जी जबसे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हैं एक ही बड़ा फैसला लिया है। सिंगुर की ज़मीन की किसानों को वापसी। अब लगता है कि एक और बड़ा फैसला लेने की तैयारी हो रही है। पश्चिम बंगाल की सरकार राज्य का नाम बदलना चाहती है। लेकिन ये काम जल्दबाज़ी में नहीं होगा पहले सभी विधायकों और पॉलिटिकल पार्टियों से बातचीत होगी। नाम बदलने का कारण बड़ा अजीब है। पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थो चटर्जी ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि पश्चिम बंगाल यानी वेस्ट बंगाल का नाम W से शुरू होता है। इसलिए जब भी नेशनल लेवल का कोई सरकारी कायर्क्रम होता है तो A B C D के हिसाब से वेस्ट बंगाल का नाम बाद में आता है और राज्य के नुमाइंदों को बोलने का मौका सबसे बाद में मिलता है। बड़ी शिकायत ये है कि जब तक बंगाल के नुमाइंदे बोलने के लिये खड़े होते हैं बहुत देर हो चुकी होती है ज्यादातर लोग थक चुके होते हैं या बोर हो चुके होते हैं और चले जाते हैं। इसलिए पश्चिम बंगाल की आवाज़ अनसुनी रह जाती है। ममता बनर्जी को इस समस्या से निबटने का एक ही रास्ता नज़र आ रहा है कि राज्य का नाम ही बदल दिया जाए। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव समर घोष को ममता बनर्जी ने इस बारे में आगे की कार्रवाई का ज़िम्मा सौंपा है। ज़ाहिर है कि नया नाम ऐसा होना चाहिए जो अल्फा बेट में पहले आए। लेकिन ज्यादा पहले आ गया तो उसमें भी परेशानी हो सकती है क्योंकि भारत में सरकारी और गैर सरकारी कायर्क्रमों में लोग वक्त पर नहीं पहुंचते देर से पहुंचते हैं। ऐसे में जो पहले बोलने के लिए उठेगा। हो सकता है कि उसे सुनने वाले ही ना मिलें। इसलिए ममता बनर्जी कम से कम एल्फाबेट A से तो नाम ना ही रखें। यानी आमार बंगाल नाम ना रखें सिर्फ बंगाल रखें।
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